राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल ने दिल्ली महिला आयोग को लेकर उठाई आवाज

नई दिल्ली। महिलाओं को परामर्श और कानूनी सहायता देकर न्याय दिलाने वाला दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) खुद न्याय की गुहार लगा रहा है। जिसकी कई वजह हैं, इनमें प्रमुख पदों का खाली होना, हेल्पलाइन 181 का संचालन स्थानांतरित होना, कर्मचारियों को हटाना और बजट का घटाया जाना आदि हैं।

आयोग को मजबूती देने वाला कोई नहीं
आयोग के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने, विजन तैयार करने और मजबूती देने वाला कोई नहीं है, क्योंकि नेतृत्वविहीन है। ऐसे में, सवाल यह है कि दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से हेल्पलाइन के संचालन की जिम्मेदारी ले लेने से महिला आयोग पूर्व की तरह काम कर सकेगा या सिर्फ रेफरल केंद्र बनकर रह जाएगा।

आयोग को बचाने के लिए अब दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल आगे आई हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से हस्तक्षेप करके आयोग को विघटित होने से रोकने की मांग की है।

स्वाति मालीवाल ने लगाया ये आरोप
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष के बिना आयोग वैसा ही है, जैसा कि मुख्यमंत्री के बिना दिल्ली। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने हेल्पलाइन 181 को मजबूत करने के लिए कोई काम नहीं किया है, आज तक जागरूकता के लिए एक भी विज्ञापन महिला हेल्पलाइन को लेकर नहीं दिया गया है।

आयोग के पास है 700 लोगों का ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम
आयोग के पास 700 लोगों का ग्राउंड सपोर्ट सिस्टम है, जो महिला हेल्पलाइन पर शिकायत मिलने के बाद धरातल पर काम करती है। इन्हें वेतन न देने और हटाने से टीम काम ही नहीं कर सकेगी। हेल्पलाइन प्रभावी नहीं रहेगी। इस निर्णय के परिणामों का मूल्यांकन करने के लिए आयोग के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया।

आठ माह से फंड की कमी झेल रहा है आयोग
आयोग के सदस्यों ने बताया कि बीते आठ माह से फंड की कमी का सामना करना पड़ रहा है। आयोग के मुताबिक, सरकार ने बजट में भी 28.5 प्रतिशत की कटौती की है। स्टेशनरी और डाक जैसे आवश्यक व्यय भी नहीं हो पा रहे हैं। कर्मचारी बिना वेतन के आठ माह से काम कर रहे हैं।

ग्राउंड टीम से जुड़ी एक युवती ने बताया कि वह पश्चिमी दिल्ली में एक पीजी में रहती है। लंबे समय से आयोग के साथ महिलाओं को सहायता देने का कार्य कर रही है। नवंबर 2023 से वेतन न मिलने से पीजी का किराया नहीं दे पा रही है। पीजी खाली करने के लिए कह दिया गया है।

इन परेशानियों से जूझ रहा महिला आयोग

  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए तीसरी और 2024-25 के लिए पहली किस्त आयोग को नहीं मिली है।
  • आयोग के सदस्यों, सदस्य सचिव और सहायक कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन नहीं मिला है।
  • ग्राउंड स्टाफ में शामिल एसिड अटैक व यौन उत्पीड़न झेल चुकीं पीड़िताओं को नवंबर 2023 वेतन नहीं मिला है।
  • अध्यक्ष पद खाली होते ही हेल्पलाइन पर शिकायतें कम हो गईं, दिसंबर 2023 तक रोज दो से चार हजार काल आती थीं।
  • इस वित्तीय वर्ष बजट में 28.5 प्रतिशत की कटौती की गई है, जिसका आयोग के संचालन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • बजट में कटौती से क्राइसिस इंटरवेंशन सेंटर काउंसलर और दुष्कर्म क्राइसेस सेल का काम रोकना पड़ेगा।
  • संविदा और आउटसोर्स पर 88 कर्मियों को हटाने से आयोग में केवल 12 कर्मचारी ही बचेंगे।
  • लगभग 674 ग्राउंड कर्मचारी वेतन का भुगतान नहीं होने से समस्याएं झेल रहे हैं।
  • जनवरी 2024 से अध्यक्ष और नवंबर 2022 से दो सदस्यों के पद खाली पड़े हैं।
  • पिछले 1.5 वर्ष से दलित समुदाय से एक सदस्य का पद भी खाली है।
  • इस माह के अंत तक तीन सदस्यों और सदस्य सचिव के कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है।

2016-2023 तक दिल्ली महिला आयोग के काम

  • महिलाओं और बच्चों की 1.7 लाख से अधिक शिकायतों को निपटारा किया गया।
  • महिला हेल्पलाइन 181 पर वर्ष 2016 से अब तक 41 लाख से अधिक काल प्राप्त हुईं।
  • आयोग की कानूनी टीम में 82 से अधिक अधिवक्ता हैं जिन्होंने आठ वर्ष में 1.9 लाख पीड़ितों की सहायता की।
  • आयोग की टीम ने पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए 8,215 से अधिक आवेदन किए।
  • राजधानी में यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न के मामलों में 29,800 से अधिक प्राथमिकी दर्ज कराने में सहायता की।
  • आयोग की ओर से संचालित 57 महिला पंचायत केंद्र घरेलू विवादों को सुलझाने व लैंगिक मुद्दों पर जागरूक करने में सहायक हैं।
  • पंचायत केंद्रों में दर्ज 2.13 लाख शिकायतों को 300 सहायक कर्मियों ने सुना और 52,296 से अधिक जागरूकता सत्र आयोजित किए।

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