कतर ने भारत की अर्ज़ी कर ली स्वीकार, जांच के बाद सुनवाई की तारीख करेगी तय…

नई दिल्‍ली। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आठ भारतीयों को कतर की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन क़तर के अभी तक इनके ऊपर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया है। उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की गईं और पिछले महीने कतर की अदालत ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया। कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को मौत की सजा के खिलाफ भारत की अपील स्वीकार कर ली है, जिन्हें पिछले महीने जासूसी के एक कथित मामले में सजा सुनाई गई थी। सूत्रों ने कहा कि कतरी अदालत, अपील की जांच के बाद सुनवाई की तारीख तय करेगी। अगस्त 2022 में गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों, पूर्णेंदु तिवारी, सुगुनाकर पकाला, अमित नागपाल, संजीव गुप्ता, नवतेज सिंह गिल, बीरेंद्र कुमार वर्मा, सौरभ वशिष्ठ और रागेश गोपकुमार हैं।

इन अफसरों ने नेवी में 20 साल तक काम किया है और महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। पीटीआई के अनुसार इन अफसरों ने नौसेना में तय समय तक सेवा देने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृति ली और बेहतर मौके की तलाश में नौसेना की सर्विस छोड़ी। इसके बाद इन अधिकारियों ने कतर की प्राइवेट सिक्योरिटी कंपनी अल दहारा के साथ काम करना शुरू किया। 

इससे पहले बृहस्पतिवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कतर की एक अदालत द्वारा भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को सुनायी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की प्रक्रिया जारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत इस मामले पर कतर के प्राधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है और सरकार भारतीय नागरिकों को सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता मुहैया कराना जारी रखेगी।

26 अक्टूबर को सुनाई गई मौत की सजा
कतर की ‘कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस’ ने 26 अक्टूबर को आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने फैसले को चौंकाने वाला बताया था और मामले में सभी कानूनी विकल्प तलाशने की बात कही थी। कुछ दिनों बाद, मौत की सजा के खिलाफ एक अपील दायर की गई। बागची ने कहा, “मामला फिलहाल वहां कानूनी प्रक्रिया में है। जैसा कि हमने बताया, कतर की अपील अदालत में एक अपील दायर की गई है। हम इस मामले पर कतर के प्राधिकारियों के साथ भी सम्पर्क में हैं और हम उन्हें (पूर्व नौसैन्य कर्मियों को) सभी कानूनी और राजनयिक सहायता प्रदान करना जारी रखेंगे।”

आरोपों को नहीं किया गया सार्वजनिक
निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को कथित तौर पर जासूसी के एक मामले में पिछले साल अगस्त में गिरफ्तार किया गया था। न तो कतर के प्राधिकारियों और न ही नयी दिल्ली ने भारतीय नागरिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया है। कतर की अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में, विदेश मंत्रालय (एमईए) ने पिछले महीने कहा था कि वह इस मामले को ‘उच्च महत्व’ दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आरोप 25 मार्च को दायर किए गए और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया।

बेदाग रहा है कार्यकाल
पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा था कि सभी पूर्व नौसेना अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 साल तक का ‘बेदाग कार्यकाल’ रहा है और उन्होंने बल में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया था और वहां काम करने वाले सभी लोग घर लौट आए हैं। अतीत में, नौसेना ने पूर्व नौसैनिकों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए उनका मामला सरकार के शीर्ष अधिकारियों के समक्ष उठाया था। इधर अल दहारा कंपनी ने अपने एक अधिकारी की गिरफ्तारी के बाद मई में कतर में अपना काम-काज ही बंद कर दिया।

Related Articles

Back to top button