करोड़ों खर्च होने के बाद शोपीस बने सार्वजनिक शौचालय

  • साल भर पहले घटिया निर्माण सामग्री से बने यह शौचालय नहीं आ रहे हैं ग्रामीणों के काम
  • लखनऊ। राजधानी के बख्शी का तालाब विकासखंड की 94 ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो जाने के बाद भी कहीं छह माह से तो कहीं सालभर से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन रायपुर राजा,नगुवामऊ,सोनवा,सुभाषनगर, महिंगंवा, सुबंशीपुर,सिहामऊ,मोहम्मदपुर गढ़ी सहित दर्जनों गावों में उपयोग तक नहीं शुरु हो पाया है। अधिकांश शौचालयों में ताला लटक रहा है। ग्राम पंचायतों द्वारा सार्वजनिक शौचालयों का संचालन करने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा है। क्योंकि प्रधान-सचिव खुद ये तर्क दे रहे हैं कि गांव में पहले से ही सभी घरों में शौचालय बन चुके हैं।इसीलिए वे लोग इसका उपयोग करने से रहे। गांवों में शहरों सभी तरह बाहरी व्यक्तियों का भी आना भी नहीं होता है। जिससे इन शौचालयों का इस्तेमाल हो। जिसके चलते संचालन कैसे होगा। ऐसे में निर्माण होने के बाद उन्हें लावारिश की तरह अपने हाल में छोड़ दिया गया है। ऐसे में शासन के लाखों-करोड़ों रुपए खर्च हो रहे हैं लेकिन फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। बता दें,कि पिछले साल 2020-21 से स्वच्छ भारत मिशन के तहत ओडीएफ हो चुके गांवों में सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को प्रसाधन की व्यवस्था सुलभ रुप से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराना शुरु किया। पिछले वित्तीय साल में बीकेटी विकासखंड क्षेत्र की दुर्जनपुर,भाखामऊ,रेवामऊ को छोड़कर बाकी लगभग सभी ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है।और शौचालयों की देखरेख के लिए स्वयं सहायता समूह से केयर टेकर भी रखे गए हैं।मगर विडंबना है, कि जिन पंचायतों में इसका निर्माण पूर्ण हो चुका है,लेकिन उनका कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है। अधिकांश जगहों पर ताला लटका मिल रहा है।

एक शौचालय बनाने में सात लाख तक खर्च
सामुदायिक शौचालय के लिए राशि निर्माण पंचायत की आबादी के अनुसार जारी हो रही है। जिसमें लगभग सात लाख रुपए तक एक सामुदायिक शौचालय के लिए राशि दी जा रही है। जिसमें तीन योजना के अभिशरण के तहत निर्माण हो रहा है। अधिकांश जगहों पर पंचायत ही निर्माण एजेंसी है। ऐसे में पंचायत निर्माण तो करा रही है पर उपयोग करने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

अधिकांश जगह गुणवत्ताहीन कार्य
सात लाख रुपए लागत होने के बावजूद भी अधिकांश गाँवों में शौचालय का निर्माण मानकों को ताक पर रखकर किया गया है। जिससे उपयोग शुरु होने से पहले ही जर्जर होने की स्थिति में पहुंच गए हैं। पंचायत के प्रधान-सचिवों के द्वारा निर्माण में जमकर वारा-न्यारा किया गया है और जैसे पाए हैं वैसे निर्माण कार्य करवा दिया गया है।

बिना काम के ही केयर टेकरों को रहा मानदेय का भुगतान 
बीकेटी विकासखंड के लगभग छह दर्जन से अधिक सामुदायिक शौचालयों में केयर टेकरों को लाखों रुपये के मानदेय व रखरखाव की सामग्री का भुगतान हो रहा है।क्षेत्र के विभिन्न ग्राम पंचायतों में बनाये गए सामुदायिक शौचालय में अधिकांश जगहों पर केयर टेकर की नियुक्ति हो चुकी है।जो बिना काम के ही प्रतिमाह हजारों रुपये का मानदेय प्राप्त कर रहे हैं।

जिम्मेदार बोले
सामुदायिक शौचालयों में ताला बंद होने की फिलहाल कोई शिकायत नहीं मिली है।केयर टेकर को शौचालय खोलने के लिए ही प्रति माह भुगतान किया जाता है। इसके बाद भी शौचालय आम जन के लिए अगर नहीं खोले जा रहे हैं तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।इसके लिए आज ही डीपीआरओ को निर्देशित करूंगा।

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