बच्चों व अध्यापकों की ऑनलाइन उपिस्थित के सम्बन्ध में बीएसए से मिलकर दर्ज कराया विरोध

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल (पूर्व मा.)शिक्षक संघ की जनपदीय इकाई बाराबंकी ने प्रांतीय महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा के नेतृत्व में बीएसए संतोष देव कुमार पांडेय से मिलकर बच्चों व अध्यापकों की ऑनलाइन उपिस्थित के सम्बन्ध में विरोध दर्ज कराते हुए पत्र सौंपा।महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद के द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत विद्यलयों को उपलब्ध कराए गए टैबलेट/निजी मोबाइल के माध्यम से माड्यूल व्यवस्था तहत बच्चों व अध्यापकों की ऑनलाइन उपिस्थित हेतु जनपद बाराबंकी का चयन किया गया है।

उक्त आदेश के विरोध में उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय नेतृत्व द्वारा महानिदेशक स्कूल शिक्षा से भेंट कर बच्चों एवं शिक्षकों की टैबलेट/निजी मोबाइल के द्वारा ऑनलाइन उपस्थित दर्ज करने संबंधी आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई है ।यह भी उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा सिमकार्ड खरीदे जाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन सिम कार्ड खरीदे जाने हेतु आईडी की आवश्यकता होती है। इस संबंध में कोई विभागीय व्यवस्था नहीं दी गई है।विभागीय सिम कार्ड के लिए शिक्षकों द्वारा अपने निजी आईडी लगाया जाना उचित नहीं प्रतीत होता है। अतः ऐसी स्थिति में सिम कार्ड खरीदना संभव नहीं है।साथ ही शिक्षकों के कई अन्य समस्याएं जिसमें पुरानी पेंशन बहाली,पदोन्नति, स्थानांतरण, निःशुल्क चिकित्सा सुविधा जैसे मामले आज भी लंबित है। ऐसे में उक्त आदेश अव्यवहारिक एवं शिक्षकों को मानसिक उत्पीड़न देने वाला लगता है।जिससे इससे शिक्षकों के मनोबल पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

शिक्षकों द्वारा निरन्तर अभिभावकों से हो रहा संपर्क
ऐसे परिषदीय विद्यलयों जिनकी औसत न्यूनतम उपस्थित40 प्रतिशत से कम होने के कारण विद्यलयों के समस्त स्टाफ का वेतन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष देव कुमार पांडेय द्वारा अग्रिम आदेशों तक बाधित किया गया है। उक्त आदेश के सम्बंध में उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल(पूर्व मा.)शिक्षक संघ इकाई बाराबंकी ने प्रांतीय महामंत्री अरुणेंद्र कुमार वर्मा के नेतृत्व में बीएसए बाराबंकी से मिलकर अवगत कराया कि शिक्षकों द्वारा निरन्तर अभिभावकों से सम्पर्क कर बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित और छात्र उपिस्थित में सुधार करने के लिए प्रयास भी किया जा रहा है। साथ ही यह विरोध दर्ज कराया कि आईवीआरएस काल में तकनीकी समस्या के कारण प्रायः पोर्टल पर अंकित संख्या एवं विद्यलयों की एमडीएम पंजिका में अंकित छात्र संख्या ने भिन्नता हो जाती है।

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