लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत पर दुनियाभर से बधाई संदेश आ रहे हैं इसी बीच ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने भी मोदी को शुभकामनाएं भेजीं, जिस पर प्रधानमंत्री ने थैंक्स कहा…यह बात चीन को अखर गई उसने तुरंत विरोध जताया और कहा कि नई दिल्ली को ताइवान के अधिकारियों की ‘राजनीतिक चालों’ का विरोध करना चाहिए. अब ताइवान ने इसका करारा जवाब दिया है
मोदी को बधाई देते हुए ताइवानी राष्ट्रपति ने लिखा था- ‘प्रधानमंत्री मोदी को चुनाव में जीत पर मेरी हार्दिक बधाई हम तेजी से बढ़ती ‘ताइवान-भारत साझेदारी’ को और आगे ले जाने, व्यापार, प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के लिए उत्सुक हैं’ जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ पर लिखा कि वह भारत और ताइवान के बीच घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं यही बात चीत को अखर गई उसने भारत से विरोध जताया चीन परंपरारगत रूप से ताइवान के साथ किसी देश के रिश्तों का विरोध करता रहा है वह ताइवान पर अपना हक जताता रहा है और उसे एक स्वतंत्र देश मानने से इनकार करता रहा है वह नहीं चाहता कि कोई अन्य देश वहां के नेताओं के साथ अलग से संपर्क में रहे. उन्हें मान्यता दे हालांकि, भारत अर्से से आधिकारिक दस्तावेजों, घोषणाओं में “एक-चीन” का जिक्र नहीं करता इससे चीन नाखुश रहता है.
भ्रांतियां फैला रहा चीन
चीन के बयान पर ताइवान ने कड़ा विरोध जताया विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति लाई के बीच संदेशों के आदान-प्रदान पर चीन झूठा दावा कर रहा है कि भारत की ‘एक-चीन सिद्धांत’ के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता है और उसे ताइवान की ‘राजनीतिक साजिशों’ का विरोध करना चाहिए. जबकि दुनिया भर के देश भारत को संसदीय चुनावों के सफल समापन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दोबारा निर्वाचित होने पर बधाई दे रहे हैं चीन अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भ्रमित करने के प्रयास में राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल कर रहा है और भ्रांतियां फैला रहा है यह उसकी सत्तावादी मानसिकता को उजागर करता है
किसी दूसरे देश को टिप्पणी करने का अधिकार नहीं
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने कहा, लोकतांत्रिक चुनावों नतीजों पर एक-दूसरे को शुभकामनाएं देना न केवल एक अंतरराष्ट्रीय प्रथा है, बल्कि यह हमारे बीच मित्रता और दृढ़ विश्वास को प्रदर्शित करता है अन्य देशों को इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है ताइवान की सरकार अर्थव्यवस्था, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने तथा घनिष्ठ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की इच्छुक है ताइवान एक “संप्रभु और स्वतंत्र देश है और इसका पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना से कोई संबंध नहीं है. यह एक ऐसी यथास्थिति है जिसे आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है विदेश मंत्रालय ने कहा, ताइवान अपनी लोकतांत्रिक प्रणाली को कायम रखता है और उसका बचाव करता है तथा मानवाधिकारों और कानून के शासन का सम्मान करता है यह चीन की धमकी और दबाव के कारण नहीं झुकेगा, न ही यह अपनी संप्रभुता की स्थिति को सिर्फ़ इसलिए बदलेगा क्योंकि चीन झूठा दावा करता है कि ताइवान उसका हिस्सा है