राष्ट्रपति मुर्मू ने सेना पत्नी कल्याण संघ के ‘अस्मिता’ उत्सव की शोभा बढ़ाई

नई दिल्ली । आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (एडब्ल्यूडब्ल्यूए) की अध्यक्ष अर्चना पांडे की मेजबानी में सोमवार को राजधानी के मानेकशॉ सेंटर में ‘अस्मिता-आर्मी वाइव्स की प्रेरक कहानियां’ के दूसरे सत्र का आयोजन किया गया। इस मंच के जरिये सैनिकों की पत्नियों की उन प्रेरक कहानियों को साझा किया गया, जिन्होंने कई चुनौतियों के बावजूद अपनी दृढ़ता से विभिन्न क्षेत्रों में अपने लिए एक जगह बनाई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मुख्य अतिथि के रूप में उत्सव की शोभा बढ़ाई। एडब्ल्यूडब्ल्यूए संस्था सेना कर्मियों के जीवनसाथी, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए काम करती है। आधिकारिक तौर पर 23 अगस्त, 1966 को अस्तित्व में आने के बाद से इस एसोसिएशन का दायरा साल-दर-साल बढ़ा है और आज यह देश के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक है। ‘अस्मिता’ साहसी सैन्य पत्नियों और उपलब्धि हासिल करने वालों के लिए ऐसा मंच है, जिन्होंने अपने वृत्तांतों को बताने और अपने जैसे अन्य लोगों को प्रेरित करने के लिए कई बाधाओं को तोड़ दिया है। यह उन बहादुर महिलाओं के संघर्ष को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने भयावह बाधाओं का सामना किया लेकिन फिर भी डटी रहीं। ‘अस्मिता’ के इस दूसरे सत्र में झारखंड में विज्ञान शिक्षक जया प्रभा महतो, लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट डॉ. संजना नायर, कैंसर केयर और पैलिएटिव केयर काउंसलर वंदना महाजन, लेखिका और स्तंभकार अंबरीन जैदी, कारगिल युद्ध के अनुभवी कैप्टन याशिका एच त्यागी (सेवानिवृत्त), स्थायी टैटू और मेकअप कलाकार सुश्री फ्लोरेंस हनामटे, राष्ट्रीय रोइंग पदक विजेता सुश्री सरगम शुक्ला, उद्यमी और सामग्री निर्माता सुश्री आशना कुशवाह और वीर नारी लेफ्टिनेंट ज्योति की बातचीत शामिल थी। इसके अलावा पर्वतारोही सुश्री अरुणिमा सिन्हा और शास्त्रीय नृत्यांगना सुश्री आनंद शंकर जयंत ने भी दर्शकों को संबोधित किया। एक प्रदर्शनी में सेना की पत्नियों के असाधारण उद्यमशीलता कौशल का प्रदर्शन किया गया। ‘अस्मिता’ का पहला सत्र पिछले साल 14 अक्टूबर को आयोजित किया गया था, जिसमें वीर नारियों, सेना कर्मियों के जीवनसाथी, कलाकारों, डॉक्टरों, लेखकों, कैंसर विजेता और दिग्गजों सहित एडब्ल्यूडब्ल्यूए बिरादरी के विभिन्न वर्गों ने अपनी-अपनी प्रेरक कहानियां मंच पर रखीं। इसके बाद इस साल 11 फरवरी को कोलकाता में ‘अस्मिता पुरबा’ का आयोजन हुआ। इन दोनों कार्यक्रमों की कामयाबी ने कई सेना पत्नियों को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान की और ‘अस्मिता सत्र 2’ का आयोजन करने के लिए प्रेरित किया।

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