लोकसभा चुनाव की तैयारिया शुरु प्रशासनिक अधिकारियो के संग वैठके शुरू

बदायूं,। अगले साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की प्रशासनिक संग राजनैतिक दलों की भी तैयारियां शुरू हो गई हैं। प्रशासन जहां मतदाता सूची दुरुस्त करने व ईवीएम के प्रशिक्षण को कहा रहा है वहीं राजनीतिक हलके में भी संभावित प्रत्याशियों के राजनैतिक व सामाजिक दौरे शुरू हो गये हैं। बदायूं के साथ आंवला लोकसभा की दो विधानसभाएं जिले में हैं। चुनावी चेहरों में बदायूं की सांसद डॉ. संघमित्रा मौर्य, पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव, आंवला सांसद धर्मेंद्र कश्यप, पूर्व मंत्री आबिद रजा ने सक्रियता तेज कर दी है। चुनाव में किस दल से ताल कौन ठोंकेगा यह टिकट होने के बाद ही तय होगा।
सत्ताधारी पार्टी भाजपा की बात करें तो बदायूं और आंवला दोनों सीटों पर काबिज है। पार्टी की गतिविधियों में सांसद डॉ.संघमित्रा मौर्य और धर्मेंद्र कश्यप दोनों दिख रहे हैं। इनकी बढ़ती गतविधियों इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि अपनी दावेदारी मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं रखना चाहते। राजनीति में कब समीकरण बदल जाएं कुछ नहीं कहा जा सकता। पार्टी के जिम्मेदार अभी इस बात पर चर्चा करने से कतरा रहे हैं कि चुनाव मैदान में कौन उतरेगा।
विपक्षी पार्टी सपा की बात करें तो बदायूं सीट से दो बार सांसद रह चुके धर्मेंद्र यादव की राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। बदायूं से गुन्नौर तक संपर्क, सभायें जारी हैं। लंबे समय बाद चार दिन पहले हुई मासिक बैठक में शामिल हुए और कार्यकर्ताओं को पार्टी की रणनीति समझाकर चुनावी तैयारी में जुट जाने का संदेश दिया। इनकी बढ़ती गतिविधियां देखकर संकेत साफ दिख रहे हैं कि इनका चुनाव मैदान में उतरना लगभग तय है।

सपा के ही पूर्व मंत्री व सेक्यूलर नेता के रूप में उभरे आबिद रजा भी चुनाव लगने की तैयारी शुरू कर दी है। पिछले दिनों शहर में इनके कटआउट चर्चा में रहे, जिन पर लिखा था हमारा सांसद कैसा हो, आबिद रजा जैसा हो। उस पर बदायूं अथवा आंवला किसी लोकसभा का जिक्र नहीं था। इसलिए यह कह पाना मुश्किल है कि वह बदायूं सीट से तैयारी कर रहे हैं कि आंवला सीट के लिए। पिछले दिनों बदायूं से पांच बार सांसद रह चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने आबिद रजा को आंवला से चुनाव लड़ाने की वकालत की थी। सपा मुस्लिम वोटरों पर भी नजर गड़ाए हुए है। सभी का अपना-अपना गणित और अपनी रणनीति है, किसी की गोटी फिट बैठेगी यह तो राजनीतिक उतार-चढ़ाव से ही तय हो सकेगा। बसपा और कांग्रेस की गतिविधियां भी बढ़ रही हैं, लेकिन अभी तक चुनावी चेहरा कोई सामने नहीं आया है।

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