इबादत गुज़ार और रोज़ेदार बने नन्हें रोज़ेदार

बाराबंकी। माह ए रमज़ान का मुबारक महीना चल रहा है। जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग रोज़ा रख कर अल्लाह की इबादत करना चाहते हैं। जिसके लिए अन्य महीनों की तरफ काम कुछ कम और कुरान की तिलावत व इबादत में ज्यादा समय गुज़ार रहें हैं। घर के बड़ो का यह माहौल देखकर नन्हें रोज़ेदार भी पीछे नही रह रहें हैं। वह भी अपना पहला रोज़ा रखकर अल्लाह को खुश करना चाहते हैं। कस्बा मसौली निवासी इलशा खान ने 8 वर्ष की आयु में अपना पहला रोज़ा रखा। जिससे वह बहुत खुश है। मसौली के भुलीगंज के मो फ़ैज़ ने महज सात साल की उम्र में पहला रोज़ा रखा है। जिस मासूमियत में भूल कर भी बच्चे कुछ खा लेते हैं।

जैदपुर कस्बे के मोहल्ला अली अकबर कटरा निवासी मो अब्बास ने सिर्फ 6 साल के बचपने में ही रोज़ा रखने का काम किया है। जिसकी चर्चा कस्बे में खूब है। जैदपुर के मोहल्ला छोटी बाजार निवासी अली समीर के पुत्र अली जदीर ने 9 साल की उम्र में दूसरी बार रोज़ा रखा है। कस्बे के मोहल्ला पचदरी निवासी वकार मेहंदी की बेटी खतीजा बानों ने सात साल व बेटे ज़री अब्बास ने 9 साल की उम्र में दोनों भाई बहनों ने एक साथ रोज़ा रखा है। मोहल्ला शाह कटरा निवासी हाफिज मो अहमद की बेटी मुताहीरा नूर ने भी सात साल की उम्र में रोज़ा रखा है। इस बार नन्हें रोज़ेदारों में रोज़ा रखने का चलन तेज़ी के साथ बढ़ता जा रहा है। इन्हें रोज़ेदारों के रोज़ा रखने पर घरों में रोज़ा इफ्तारी के विशेष इंतजाम किए जाते हैं। और नन्हें रोज़ेदारों को नकदी व ईनाम भी घर के बड़े देते हैं।

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