गरीबी और भुखमरी के कारण कई नाबालिग रोहिंग्या शरणार्थी पहुंचीं मलेशिया

कुआलालंपुर। रोहिंग्याओं के साथ अत्याचार कोई नई बात नहीं है। जिस भी देश में यह शरणार्थी बनकर शरण लेने जाते हैं वहां ही इन्हें अत्याचार का सामना करना पड़ता है। यह सभी रोहिंग्या जहां मुसलमान होने का दावा करते हुए खुद को म्यांमार के मुस्लिमों का वंशज बाताते हैं।

वहीं, म्यांमार इन्हें बंग्लादेशी घुसपैठिया बताता है। यह सभी रोहिंग्या शरणार्थी मूल रूप से म्यांमार से हैं जो अपने पड़ोसी देशों में शरण लेते हैं। गरीबी और भुखमरी के कारण अब नाबालिग रोहिंग्या शरणार्थी मलेशिया में बेची जा रही हैं। 13-14 साल की बच्चियों के साथ अत्याचार हो रहा है।

साल 2022 में मलेशिया पहुंची यह सभी लड़कियां
म्यांमार और पड़ोसी बांग्लादेश के शरणार्थी शिविरों में बिगड़ते हालात के कारण बड़ी संख्या में कम उम्र की रोहिंग्या लड़कियां रोहिंग्या पुरुषों के साथ विवाह करने के लिए मलेशिया जा रही हैं। वहां अक्सर उनके साथ दुर्व्यवहार होता है। न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने 12 युवा रोहिंग्या दुल्हनों के साक्षात्कार में पाया कि सबसे छोटी दुल्हन 13 साल की थी। यह सभी लड़कियां 2022 में मलेशिया पहुंची हैं।

कई लड़कियों के साथ शादी के नाम पर हो रहा दुष्कर्म
न्यूज एजेंसी एपी द्वारा साक्षात्कार की गई सभी लड़कियों ने कहा कि उनके नियंत्रित पति उन्हें शायद ही कभी बाहर जाने देते हैं। कई लड़कियों ने कहा कि मलेशिया की यात्रा के दौरान उन्हें पीटा गया और उनके साथ दुष्कर्म किया गया। वहीं, पांच अन्य लड़कियों ने कहा कि उनके पतियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। आधी लड़कियां गर्भवती हैं या उनके बच्चे हो चुके हैं, बावजूद इसके कि अधिकांश अभी मातृत्व के लिए तैयार नहीं थीं।

गर्भवती हो रही लड़कियों के पास और कोई विकल्प नहीं
पहचान को छिपाने के लिए सभी लड़कियों के नाम अल्फाबेट के अनुरूप रखा गया है। 16 वर्षीय एफ नाम की एक लड़की कहती है, “यह मेरे लिए एकमात्र रास्ता था,” उसने बताया कि 2017 में म्यांमार के सैनिकों ने उसका घर जला दिया और उसकी चाची को मार डाला। वह आगे कहती है कि “मैं शादी के लिए तैयार नहीं थी, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प भी नहीं था।”

पिछले दो वर्षों में मलेशिया के आगमन में देखी गई वृद्धि
बता दें कि बांग्लादेश के शिविरों में रह रहे लाखों राज्यविहीन रोहिंग्याओं को नागरिकता या काम करने का अधिकार देने से इनकार कर दिया गया है। कोई भी देश बड़े पैमाने पर पुनर्वास के अवसर प्रदान नहीं कर रहा है।मलेशिया में कितनी रोहिंग्या बाल वधुएं रह रही हैं इसका अभी सटीक आंकड़ा मौजूद नहीं हैं। लेकिन लड़कियों के साथ काम करने वाले स्थानीय अधिवक्ताओं का कहना है कि उन्होंने पिछले दो वर्षों में आगमन में वृद्धि देखी है। वहीं, हाल के वर्षों में सैकड़ों बाल वधुओं के साथ काम करने वाले रोहिंग्या महिला विकास नेटवर्क की कार्यकारी निदेशक नशा निक कहती हैं, “वास्तव में बहुत सारे रोहिंग्या शादी करने के लिए आ रही हैं।”

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