बंदियों को दिलाई फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ

  • जिला कारागार में आईडीए अभियान को लेकर आयोजित हुआ जागरूकता शिविर

    बाराबंकीराष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत 10 से 28 फरवरी के बीच सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान चलाएगा। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी घर-घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा आइवरमेक्टिन, डाईइथाईल कार्बामजीन और एल्बेंडाजोल खिलाएंगे। इस क्रम में जिला कारागार में स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान एवं स्वयं सेवी संस्था प्रोजेक्ट कंसर्न इंटर नेशनल (पीसीआई) के सहयोग से एक जागरूकता शिविर आयोजित हुआ। शिविर में बंदियों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के लिए प्रेरित करते हुए उन्हें फाइलेरिया उन्मूलन की शपथ भी दिलाई गई।
    कार्यक्रम के नोडल अफसर और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वीबीडी) डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया कि आईडीए अभियान के दौरान फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। इस दवा के सेवन से लिम्फोडिमा (हाथ, पांव और स्तन में सूजन) व हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) से बचाव होगा। आईडीए के तहत साल में लगातार तीन साल तक साल में एक बार फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करने से फाइलेरिया से बचाव होता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया से बचने का उपाय समय पर फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करना है।
    इस मौके पर कारागार के चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही फाइलेरियारोधी दवा का सेवन करवाएंगे। दवा खाली पेट नहीं खानी है। दवा खाने के बाद किसी-किसी को जी मिचलाना, चक्कर या उल्टी आना, सिर दर्द, खुजली की शिकायत हो सकती है, ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ऐसा शरीर में फाइलेरिया के परजीवी होने से हो सकता है, जो दवा खाने के बाद मरते हैं। ऐसी प्रतिक्रिया कुछ देर में स्वतः ठीक हो जाती है।
    पीसीआई संस्था की जिला मोबिलाइजेशन समन्यवक महक पांडेय ने बताया कि फाइलेरियारोधी दवा का सेवन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमार को छोड़कर सभी को करना है। एक से दो वर्ष की आयु के बच्चों को केवल एल्बेंडाजोल की आधी गोली ही खिलाई जाएगी। आइवरमेक्टिन की गोली ऊंचाई के अनुसार और एल्बेंडाजोल की गोली को चबाकर ही खाना है। इस अभियान के दौरान एएनएमए, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवाएं अपने सामने ही खिलाएंगी, ध्यान रखें कि दवा खाली पेट नहीं खानी है। शिविर में करीब 250 बंदियों के अलावा जेलर आलोक कुमार शुक्ला व फार्मासिस्ट विजय नारायण मौर्य प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

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