आजमगढ़। पिछले कुछ सालों से नदियों के गैर-मानसूनी प्रवाह में कमी देखी जा रही है। इस प्रवाह की कमी के कारण अनेक छोटी व बरसाती नदियां बनकर रह गईं हैं। प्रवाह की गंभीर कमी उन अतिदोहित तथा क्रिटिकल इलाकों में अधिक स्पष्टता से दिखाई दे रही है, जिनके कैचमेंट के जंगल विभिन्न कारणों से कम हो गए हैं। कैचमेंट में भूमि उपयोग बदल गया है।
बांधों में पानी रुक गया है या भूमि कटाव लक्ष्मण रेखा लांघ रहा है। ऐस में वन विभाग ने नए तरीके की पहल कर रहा है। जिससे पेड़ भी बचे और वन क्षेत्र भी बनाया जा सके। इसी के तहत ब्लाक सठियांव के मोहब्बतपुर गांव में तमसा नदी किनारे भी हरा-भरा होगा।
वन विभाग को उपलब्ध कराई गई जमीन
तमसा किनारे प्रशासन की तरफ से ग्राम सभा की आठ हेक्टेयर भूमि प्रशासन ने वन विभाग को उपलब्ध कराया है। नदी तटीय इस भूमि को वन क्षेत्र बनाने की योजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। नदी किनारे की इस भूमि पर 20 हजार से अधिक पौधे लगाने की योजना है। इसके लिए गड्ढों की खोदाई भी शुरू हो गई है। नदी तटीय क्षेत्र में अर्जुन, पीपल, बरगद, जामुन, सहजन के अधिक पौधे लगाए जाएंगे। गोरखपुर पूर्वी क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक डा. बीसी ब्रह्मा ने तमसा किनारे निरीक्षण कर विभाग को आवश्यक निर्देश दिए।
चारों तरफ लगेगा बबूल के पौधा
धरती पर बबूल का पेड़ कम ही दिखाई दे रहा है। ऐसे में वन विभाग तमसा किनारे लगने वालों पौधों में बबूल का पौधा अधिक से अधिक लगाई जएगी। नदी किनारे के साथ ही चारों तरफ से पौधों की सुरक्षा के लिए बबूल का पौधा लगाया जाएगा।
नदियों का क्षरण रोकने के लिए यह पहल की गई है। प्रशासन की तरफ से तमसा किनारे जंगल बनने के लिए भूमि उपलब्ध कराया गया है। गड्ढे की खोदाई शुरू हो गई है। -जीडी मिश्रा, डीएफओ