पीसीएल ने जल और गृह कर का बकाया नहीं दिया टैक्स नगर निगम को

अयोध्या। अवधी में एक कहावत है…आपन भला, भला जग माही….दूसरे के भला ठेंगे से नाहीं…। पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीसीएल) का भी यही हाल है। अपनी बकायेदारी की पाई-पाई वसूल करने के लिए बिजली का कनेक्शन काट देने वाला पीसीएल नगर निगम का इतना बड़ा बकायेदार है कि उसको डिफाल्टर की सूची में पहला स्थान प्राप्त है।

यह देनदारी लाख-दो लाख की नहीं, बल्कि चार करोड़ रुपये की है। बार-बार नोटिस और व्यक्तिगत प्रयास के बाद भी पीसीएल ने जल और गृह कर का बकाया टैक्स नगर निगम को नहीं दिया। डिफाल्टरों की लाइन में वैसे तो 18 सरकारी संस्थाएं हैं, लेकिन टाप थ्री की बात करें तो दूसरी संस्था साकेत पराग डेयरी है, जबकि तीसरे नंबर पर पूर्वांचल के सबसे बड़े महाविद्यालयों में अपनी पहचान रखने वाला साकेत महाविद्यालय भी है।

नगर निगम ने जिन बकायेदार सरकारी विभागों की सूची बनाई है, उसमें टाप थ्री के अतिरिक्त लोक निर्माण विभाग, जिला उद्यान अधिकारी, आबकारी, परिवहन निगम सहित अन्य सरकारी संस्थान नगर निगम का वर्षों से करीब आठ करोड़ रुपये दबाए बैठे हैं। टैक्स का बकाया न मिलने से नगर निगम का कोष मजबूत नहीं हो पा रहा है, जिससे जनता से जुड़े छोटे-छोटे विकास कार्यों के लिए भी शासन के सामने निगम को हाथ फैलाना पड़ता है।

प्रमुख बकायेदार विभाग

पावर कारपोरेशन-चार करोड़ रुपए

साकेत पराग डेयरी -75 लाख रुपए

साकेत महाविद्यालय-48 लाख रुपए

लोक निर्माण विभाग-40 लाख रुपए

जिला उद्यान अधीक्षक -7.17 लाख रुपए

क्षेत्रीय प्रबंधक उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन- 39.92 लाख रुपये

उप आबकारी आयुक्त-22 लाख रुपए

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान-25 लाख रुपए

अधिशासी अभियंता नलकूप खंड- 22.28 लाख रुपए

मुख्य चिकित्सा अधिकारी-13 लाख रुपए

राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय-16.60 लाख रुपए

अधिशासी अभियंता सरयू नहर खंड-15 लाख रुपए निबंधन विभाग-16 लाख रुपए

आवास विकास परिषद-2.63 लाख रुपए

प्रबंधक जिला सहकारी बैंक-8.29 लाख रुपए

जिला युवा कल्याण अधिकारी-6.35 लाख रुपए

राजकीय पालीटेक्निक पुरुष-7 लाख रुपए

नगर निगम अयोध्या मुख्य कर निर्धारण अधिकारी गजेंद्र कुमार ने कहा कि बकायेदार विभागों को नोटिस भेजी गई है। संबंधित विभाग 31 मार्च तक गृह और जल कर जमा करके दस प्रतिशत की छूट प्राप्त कर सकते हैं।

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