पाकिस्तान भारत से कितनी ‘नफरत’ करता है, इसके बारे में तो दुनिया को बखूबी मालूम है. मगर भारत के अलावा एक मुल्क ऐसा भी है, जिसे लेकर पाकिस्तान के दिल में बहुत ही ज्यादा नफरत भरी है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं इजरायल की, जिसे पड़ोसी मुल्क फूटी आंख नहीं सुहाता है. इजरायल से नफरत ऐसी है कि पाकिस्तान ने सात दशक से उसे मान्यता नहीं दी हुई है. आसान भाषा में कहें, तो वह अभी तक इजरायल को एक देश नहीं मानता है.
हालांकि, अब हालात बदल रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि वह दिन दूर नहीं है, जब पाकिस्तान भी इजरायल को मान्यता दे दे. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि पिछले कुछ सालों में अब्राहम अकॉर्ड के जरिए उन खाड़ी मुल्कों ने भी इजरायल के साथ संबंध स्थापित किए हैं, जो उसे कभी अपना दुश्मन मानते थे. मगर पाकिस्तान इजरायल को किसी समझौते के तहत मान्यता नहीं देने वाला है, बल्कि उस पर दबाव डलवाकर ऐसा किया जाएगा. ऐसा कहना एक पाकिस्तानी नेता का.
किसने कही इजरायल को मान्यता देने की बात?
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के मुखिया मौलाना फजलुर रहमान ने शनिवार (9 दिसंबर) को दावा किया कि वो दिन दूर नहीं, जब पाकिस्तान को इजरायल को मान्यता देने के लिए मजबूर होना पड़े. उनका कहना है कि इसकी वजह आर्थिक दबाव होंगे. गौरतलब है कि पाकिस्तान बुरी तरह से आर्थिक परेशानियों में लिपटा हुआ है.
मौलाना फजलुर रहमान ने दावा किया कि पाकिस्तान को इजरायल को मान्यता देने के लिए विभिन्न वर्गों से आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यहां तक दावा किया कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पिछली सरकार को यहूदियों की तरफ से सपोर्ट मिल रहा था. इमरान सरकार कश्मीर से समर्थन हटाने के साथ-साथ इजरायल को मान्यता भी देना चाह रही थी.
पाकिस्तानी पासपोर्ट से नहीं हो सकती इजरायल की यात्रा
पाकिस्तान इजरायल को एक देश के रूप में मान्यता नहीं देता है. उसका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत नियमों और 1967 से पहले की सीमाओं के आधार पर फिलिस्तान को एक देश बनना चाहिए. इस्लामाबाद का कहना है कि यरुशलम फिलिस्तीन की राजधानी भी होनी चाहिए. यही वजह है कि इजरायल के साथ पाकिस्तान के कोई राजनयिक संबंध नहीं है.
पाकिस्तानियों को इजरायल में जाकर नौकरी करने का ऑप्शन भी नहीं है. वे इजरायल की यात्रा भी नहीं कर सकते हैं. पाकिस्तानी पासपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यह इजरायल को छोड़कर सभी देशों में मान्य है. इस साल जुलाई के महीने में पांच पाकिस्तानी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था, जिन पर आरोप थे कि उन्होंने इजरायल में जाकर नौकरी की है.