किसानों का दर्द: यूपी में पिछले 13 सालों में गन्ने के मूल्यों में बढ़े 140 रुपये….

उत्तर प्रदेश: गन्ना मिलें शुरू हो चुकी हैं। गन्ना किसानों का गन्ना मिलों में जाना शुरू हो गया है, लेकिन अभी तक गन्ना मूल्य को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से कोई रेट तय नहीं किए गए हैं। गन्ना किसान और किसान संगठन लगातार गन्ना मूल्य बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है।

बता दें कि पिछले 13 सालों में गन्ने के मूल्यों में 140 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। लेकिन इस दौरान गन्ने की उत्पादन में किसानों की लागत दोगुना से भी अधिक हो गई है। इससे किसानों को घाटा हो रहा है और वे मूल्य वृद्धि की मांग कर रहे हैं। शुक्रवार यानी आज से मेरठ की सभी मिलें शुरू हो जाएंगी, लेकिन गन्ना मूल्य को लेकर सरकार की ओर से कोई जिक्र नहीं किया गया है।
पश्चिम उत्तर प्रदेश में 35 लाख से अधिक किसान गन्ने की खेती करते हैं। लगभग 30 लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती की जाती है। मेरठ मंडल रीजन में ही 3.86 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल होती है। इसमें मेरठ जिले में 1.55 लाख हेक्टेयर में गन्ने की फसल हो रही है। गन्ने के उत्पादन में लागत लगातार बढ़ रही है। अब किसानों का कहना है उन्हें लागत के मुताबिक दाम नहीं मिल रहे हैं।
बसपा और सपा ने बढ़ाए अधिक दाम
भाजपा ने जहां अभी तक अपने पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल में 35 रुपये क्विंटल की वृद्धि की है। वर्ष 2016-17 में गन्ने का मूल्य 315 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 325 रुपये प्रति क्विंटल किया गया था और वर्ष 2018-19 में 25 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई थी। वहीं, सपा सरकार ने अपने आठ वर्षों के कार्यकाल में कुल 95 रुपये गन्ना मूल्य में वृद्धि की। वर्ष 2012 में ही सपा की ओर से गन्ना मूल्य 250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 290 किया गया था। इसके बाद 290 में 25 रुपये और बढ़ाए गए। वहीं, बसपा सरकार की बात करें तो उसकी ओर से अपने पूरे कार्यकाल में 120 रुपये की वृद्धि गन्ना मूल्य में की गई। भाजपा की ओर से इस सत्र में भी अभी तक मूल्य वृद्धि को लेकर कोई विचार तक नहीं किया गया है।
सत्र शुरू होने से पहले गन्ना मूल्य घोषित करना चाहिए सरकार को
जिस प्रकार से केंद्र सरकार एमएसपी और एफआरपी समय से पहले ही तय कर देती है, उसी प्रकार राज्य सरकार को भी सत्र शुरू होने से पहले गन्ना मूल्य घोषित कर देना चाहिए। वर्तमान सत्र शुरू हो चुका है पर्चियों पर रेट नहीं है। इससे किसानों का भी बकाया मिल पर चढ़ेगा और फिर किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार को गन्ना मूल्य में वृद्धि भी करनी होगी, जिससे किसानों को लाभ मिल सके। –

उत्पादन लागत बढ़ी, नहीं बढ़ रहा मूल्य
गन्ने के उत्पादन में लागत लगातार बढ़ रही है। पहले डीएपी का जो कट्टा 1000 रुपये का आता था वह अब 1400 का है। बिजली की दरें लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में सरकार को किसानों के विषय में सोचना होगा। गन्ना मूल्य में वृद्धि करनी होगी। तब कहीं जाकर किसान को लाभ मिल सकेगा। – अनुराग चौधरी, जिला अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन टिकैत
यह है पिछले 13 सालों में गन्ना मूल्य की स्थिति
पेराई सत्र अगैती प्रजातियों के लिए सामान्य प्रजातियों के लिए अनुपयुक्त प्रजातियों के लिए
2021-22 350 रुपये 340 रुपये 335 रुपये
2019-20 325 रुपये 315 रुपये 310 रुपये
2018-19 325 रुपये 315 रुपये 310 रुपये
2017-18 325 रुपये 315 रुपये 310 रुपये
2016-17 315 रुपये 305 रुपये 300 रुपये
2015-16 290 रुपये 280 रुपये 275 रुपये
2014-15 290 रुपये 280 रुपये 275 रुपये
2013-14 290 रुपये 280 रुपये 275 रुपये
2012-13 290 रुपये 280 रुपये 275 रुपये
2011-12 250 रुपये 240 रुपये 235 रुपये
2010-11 210 रुपये 205 रुपये 200 रुपये

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