राजस्थान। राजस्थान में विधानसभा चुनाव खत्म हो गए हैं. भाजपा ने 115 सीटें जीत कर बहुमत हासिल कर लिया है. लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री को लेकर कोई तस्वीर साफ़ नहीं हुई है. लगभग आधे दर्जन से ज़्यादा नेता सीएम की दौड़ में हैं. कई नाम मीडिया में तैर रहे हैं. लेकिन उनमें सबसे ज़्यादा जिस नाम की चर्चा है वो राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं.
विधायक उनसे मिलने उनके अवास पहुंचे
चुनाव नतीजों के दूसरे दिन वसुंधरा के कई ‘समर्थक’ विधायक उनसे मिलने उनके अवास पर पहुंचे थे. मीडिया रिपोर्ट्स में राजे से मिलने वाले विधायकों की तादाद 50 से अधिक बताई गई थी. उनसे मिलने आए कई विधायकों ने खुलकर मीडिया के सामने वसुंधरा को CM बनाने की बात कही तो कुछ ने इसे ‘शिष्टाचार’ मुलाक़ात बताया.
राजे के पास लम्बा प्रशासनिक अनुभव
राजे के पास एक लम्बा प्रशासनिक अनुभव है. उनके अलावा राजस्थान भाजपा में ऐसा कोई नेता नज़र नहीं आता है. उसकी वजह ये भी है कि भैरो सिंह शेखावत के बाद राजस्थान में कोई नेता इस क़द का नहीं बन पाया है, जो उनकी दावेदारी को मज़बूत करता है. हालांकि जानकारों की मानें तो भाजपा आलकमान वसुंधरा को अधिक तव्ज्जों नहीं देती दिख रही हैं.
खुद का कोई पॉलिटिकल बेस रखने वाले को करते है नापसंद
ऐसा भी कहा जाता है कि मोदी-शाह की जोड़ी में भाजपा में ऐसे नेताओं को कम पसंद किया जाता है, जो अपना खुद का कोई पॉलिटिकल बेस रखते हैं. मोदी के पहले कार्यकाल में राजस्थान में भाजपा को लोकसभा की सभी 25 सीटें मिलीं थीं. कहा जाता है कि मोदी कैबिनेट में राजस्थान को अधिक प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर राजे ने दिल्ली में जम गईं थीं.
एक पूर्ण बहुमत सरकार बनाने जा रही
2023 चुनाव में 115 सीट जीतकर एक पूर्ण बहुमत सरकार बनाने जा रही भाजपा पर वसुंधरा को सीएम बनाने का कोई दवाब नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि वसुंधरा ने जीतकर आए क़रीब आधे विधायकों माजमा लगाकर संकेत जरूर दिए हैं. संभव है कि लो बीजेपी आलाकमान लोकसभा चुनाव 2024 से कड़ा फैसला लेने से बचे. .
वसुंधरा के पक्ष में पलट सकती है बाजी
वसुंधरा के पक्ष में बाजी तभी पलट सकती है, जब संघ भी उनका समर्थन कर दे, लेकिन इसमें भी पेंच है. माना जाता है कि राजे आरएसएस के उतने ‘क़रीब’ नहीं हैं. 2018 के चुनाव में आरएसएस ने वसुंधरा का ‘साथ’ नहीं दिया था और राजे सत्ता से बेदखल हो गईं थीं.