हरे-भरे दरख्तों की जड़ पर वार,मिट्टी माफिया हरियाली को रहे मार

  • हरे भरे आम के पेंडो के नीचे एवं आसपास की मिट्टी खोदने से जड़ों का जमीन से नाता टूटा
  • आउटर रिंग रोड निर्माण के लिए मिट्टी खनन में हो रहा खेल
  • रात के समय बड़े स्तर पर हो रहा मिट्टी का अवैध खनन, माफिया के सामने फेल हुई टास्क फोर्स

हे हरियाली के अभिभावक आप आंखें मूंदकर बेफिक्र बैठे हैं। उधर मुनाफाखोरों ने बीकेटी तहसील क्षेत्र के अंतर्गत सैरपुर थानांतर्गत पश्चिम गांव में मिट्टी का अवैध खनन कर हरे भरे फलदायी आम के पेड़ों को मौत के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। शायद यह आम के पेड़ अब अगली बारिश में नजर नहीं आएं। हल्का हवा का झोंका ही इनके वजूद को समेटने के लिए काफी होगा। ग्रामीणों और प्रशासन के साथ पुलिस को यह मनमानी रोकने की फुर्सत नहीं है, तो वन विभाग नियम का पाठ पढ़ा रहा है।बीकेटी तहसील के सैरपुर थानाक्षेत्र के पश्चिम गांव और बीकेटी थानाक्षेत्र ही अंतर्गत सिंहपुर गांव में आउटर रिंग रोड के नाम पर स्थानीय लेखपाल और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से वैध के सहारे अवैध मिट्टी का खनन जोरों पर चल रहा है।खनन माफिया नियम कानून को ताक पर रख कर मिट्टी की खुदाई कर रहे हैं।मिट्टी की खुदाई करीब 8 से10 फीट की गहराई में करने से आस पास के खेतों और हरे भरे आम के फलदायी आम के पेंडो को बारिश होने पर काफी नुकसान होने की संभावनाएं बढ़ गयी हैं। जबकि दो मीटर गहराई रहनी चाहिए। वहीं पड़ोसी के खेत से भी एक मीटर चौड़ाई रखने का नियम है, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से शासन के नियम की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।क्षेत्र में अपने निजी कार्य के लिए चुटकी भर मिट्टी खोदने पर जनता को नियम और कानून का पाठ पढ़ा प्रशासन व पुलिस कार्रवाई करने में जरा सी भी देर नहीं लगाती है।लेकिन पश्चिम गांव और सिंहपुर गांव में इस मनमाने खनन को रोकने में घुटने के बल बैठ गई। ऐसे में अप्रत्यक्ष तौर पर पेड़ों को नष्ट होने की कगार पर पहुंचाने वालों के खिलाफ वन विभाग को कार्रवाई के लिए आगे आना होगा। वहीं प्रशासन व पुलिस को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
बता दें कि देश के रक्षामंत्री एवं लखनऊ के सांसद जी के ड्रीम प्रोजेक्ट आउटर रिंग रोड में प्रयोग की जा रही मिट्टी के नाम पर क्षेत्र के पश्चिम गांव, सिंहपुर सहित कई गाँवों में मिट्टी माफिया सक्रिय हैं, जो सरकारी कार्यों के नाम पर मिली अनुमति पर जमकर अवैध खनन कर मिट्टी प्राइवेट में बेंचकर अपनी और अधिकारियों की जेबें भरने में लगे हैं। मिट्टी माफिया शर्तों को दरकिनार कर मिट्टी उठा रहे हैं।आउटर रिंग रोड में मिट्टी का बड़ी मात्रा में प्रयोग हो रहा है। मिट्टी पर सरकार द्वारा लगने वाले कर से मुक्त कर दिया है, लेकिन मिट्टी की खोदाई करने के लिए मिट्टी उठाने के लिए कुछ शर्तों को अनिवार्य बनाया गया है। शर्तों के अनुसार मिट्टी उठाते समय भूमि का स्वरूप न बदले, निश्चित गहराई से ज्यादा मिट्टी न उठाई जाय, आम रास्ते के आसपास लगे पेड़ों को नुकसान न पहुंचाये तथा पौधारोपण के साथ मिट्टी उठाकर परिवहन करते समय उसे ढका जाय। सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों को पूरा करने के लिए शपथ पत्र तो दिया जा रहा है, लेकिन मिट्टी माफिया इन नियमों की अनदेखी करने में लगे हुए हैं तथा निर्धारित गहराई से ज्यादा उठा रहे हैं, भूमि का स्वरूप बदलने के साथ आसपास लगे पेड़ों को नुकसान पहुंचाने में लगे हुए हैं।वहीं मुनाफा कमाने के चक्कर में खनन की अनुमति लेने वाली फर्म के नाम पर दलाल सक्रिय है। जो मां कहीं जाने वाली धरती मां का सीना चीरने में लगे हुए हैं। सैरपुर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत पश्चिम गांव में कई दिनों से खुलेआम जेसीबी और डंपर से आउटर रिंग रोड के लिए मिट्टी का खनन किया जा रहा है। हालांकि खनन विभाग द्वारा परमिशन दी गई है। जिस कारण खनन स्थल के आसपास सैकड़ों बीघा गेंहू की खडी फसल बर्बाद हो रही है। वर्तमान समय में किसानों को नगदी में अच्छा लाभ देने वाली गेंहू की पैदावार के लिए किसानों ने दिन रात मेहनत करके फसल को तैयार करने में हुए हैं। लेकिन यहां के खनन माफिया द्वारा खुलेआम मिट्टी खनन मानक के विपरित दिन रात खनन किया जा रहा है।जिससे इस दौरान उड़ने वाली मिट्टी किसानों के खेतों में लगी गेंहू की खडी फसल पर बुरी तरीके से बैठ रही है।जिस कारण पैदावार घटने के साथ फसल चौपट हो रही है।

मिट्टी निकालने के बाद खेत बने तालाब

आउटर रिंग रोड के लिए भी खेत से एक निर्धारित गहराई तक ही मिट्टी निकालने की अनुमति दी जाती हैं। अनुमति मिलने के बाद मिट्टी माफिया नियमों को ताख पर रख देते हैं तथा खेतों को तालाब बना दे रहे हैं, जो बरसात में दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।पश्चिम गांव में खनन माफिया ने परसादी और शंकर के खेत को तालाब बना दिया है तथा चकरोड से सटकर भी मिट्टी उठा ली है। बरसात में रास्ते से निकलना भी मुश्किल होगा।

महामारी में नहीं समझे प्रकृति की अहमियत

महामारी में भी प्रकृति की अहमियत को नहीं समझ रहे हैं। इससे सबक लेकर प्रकृति को बचाने का प्रयास अब नहीं किया तो भारी चूक होगी। खैर अभी भी वक्त है दोषियों को सजा देते हुए हरियाली को बचा लीजिए। मानव संग जीवन को प्राणवायु ऑक्सीजन देने वाले यह पेड़ अत्यधिक मिट्टी खनन के कारण खुद जिदगी व मौत के बीच जूझ रहे हैं। इनके नीचे एवं आसपास की मिट्टी खोदने से जड़ों का जमीन से नाता टूट गया है। इसका असर जल्द ही सूखते पेड़ों पर दिखने लगेगा।

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