हमीरपुर| निवादा गांव में दिव्य प्रेम सेवा मिशन के तत्वाधान में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा महायज्ञ के आठवें दिन कथावाचक ने श्रीराम वनवास की कथा का प्रसंग सुनाया। जैसे ही राम वनगमन की कथा शुरु हई तो श्रोताओं की आंखों से आंसू छलक पड़े। वहीं कथावाचक ने भरत संवाद व लंका दहन का भी वर्णन सुनाया।
शनिवार को दिव्य प्रेम सेवा मिशन के तत्वाधान में निवादा गांव में चल रही श्रीराम कथा महायज्ञ में कथावाचक विजय कौशल महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि अयोध्या के कोप भवन में कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वचन मांगे। जिस पर राजा दशरथ ने कहा कि रघुकुल रीति सदा चल आई, प्राण जाई पर वचन न जाई… यह सुनते ही कैकेयी ने राजा दशरथ से अपने दो वचनों में से पहला वचन अपने पुत्र भरत को अयोध्या की राजगद्दी मांग ली तथा दूसरा भगवान श्रीराम को 14 वर्ष का वनवास मांगा। कैकेयी के यह कटु वचन सुनते ही महाराजा दशरथ के होश उड़ गए।
वहीं जब भगवान श्रीराम को इस बात का पता चला तो वह पिता के वचन को निभाने के लिए वन जाने को खुशी-खुशी तैयार हो गए। भगवान श्रीराम के वन जाने की बात सुनते ही माता सीता व लक्ष्मण भी उनके साथ वन जाने को तैयार हो गए। राम जी के मना करने के बाद भी लक्ष्मण नहीं माने। जिसके बाद तीनों अयोध्या से वन के लिए निकल पड़े। इस मौके पर कथा संचालक व दिव्य प्रेम सेवा के संस्थापक डा.आशीष गौतम, जलशक्ति राज्यमंत्री रामकेश निषाद, न्यायमूर्ति हाईकोर्ट श्रीप्रकाश, विभाग प्रचारक मनोज, कार्यक्रम प्रभारी शिव शंकर सिंह, कार्यक्रम संयोजक राठ विधायक मनीषा अनुरागी, जिला पंचायत अध्यक्ष जयंती राजपूत, कार्यक्रम संयोजक अभिषेक तिवारी उपस्थित रहे।