एनिमल’ पर कसा कंगना ने तंज….

नई दिल्ली। रणबीर कपूर स्टारर ‘एनिमल’ ने सिनेमाघरों में रिलीज होते बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया। यह फिल्म अभिनेता की ब्लॉकबस्टर फिल्मों में से एक बन गई है, लेकिन कुछ समय पहले गीतकार जावेद अख्तर ने ‘एनिमल’ की सक्सेस को खतरनाक बताया था। अब उनके बाद अभिनेत्री कंगना रनोट ने भी ‘एनिमल’ के एक डायलॉग पर तंज कसा है।

‘एनिमल’ पर कसा कंगना ने तंज
दरअसल, एक्ट्रेस कंगना रनोट सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक सोशल मीडिया यूजर को जवाब दे रही थीं जो उनकी फिल्म तेजस की तारीफ कर रहा था। उस यूजर ने लिखा ‘कि उन्होंने फिल्म का आनंद लिया और आश्चर्यचकित थे कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन क्यों नहीं कर पाई’।

सोशल मीडिया यूजर को जवाब देते हुए कंगना ने लिखा ‘मेरी फिल्मों के लिए भुगतान की गई नकारात्मकता भारी है। मैं अब तक कड़ी मेहनत कर रही हूं, लेकिन दर्शक भी महिलाओं को पीटने वाली फिल्मों को पसंद कर रहे हैं, जहां उनके साथ यौन वस्तुओं की तरह व्यवहार किया जाता है और जूते चाटने के लिए कहा जाता है। यह उस व्यक्ति के लिए बहुत हतोत्साहित करने वाला है, जो महिलाओं के लिए अपना जीवन समर्पित कर रहा है। सशक्तिकरण फिल्में, आने वाले सालों में करियर बदल सकती है। अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ साल किसी सार्थक चीज को देना चाहती हूं’।

महिलाओं के कपड़े उतारना भयावह
इसके बाद कंगना ने एक और ट्वीट किया और लिखा ‘फिल्मों का नवीनतम चलन जहां महिलाओं को दीवार पर फूल बनकर रह जाना, हिंसक और अपमानजनक तरीके से उनकी गरिमा और कपड़े उतारना भयावह है। मुझे उस समय की याद आती है जब मैंने फिल्मों में प्रवेश किया था, अश्लील आइटम नंबर, जल्दी-जल्दी अंदर-बाहर होने वाली गंदी और वृद्ध पुरुषों के खिलाफ मूर्खतापूर्ण भूमिकाएं प्रचलित थीं’।

इसके आगे उन्होंने लिखा ‘कई वर्षों के बाद वेतन समानता के लिए लड़ते हुए, गैंगस्टर, वो लम्हे, फैशन, क्वीन, तनु वेड्स मनु, मणिकर्णिका, थलाइवी, तेजस जैसी महिला प्रधान फिल्मों को प्रोत्साहित करने की कोशिश करते हुए मैंने कई पंख लगाए। वाईआरएफ और धर्मा जैसे बड़े प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ गए। अक्षय कुमार, सलमान खान, रणबीर कपूर जैसे बड़े हीरो को ना कहा।

मेरा दिल बैठ जाता है
इसलिए नहीं कि मेरा उनसे कोई व्यक्तिगत विरोध था, सब कुछ महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर था और आज फिल्मों में महिलाओं की स्थिति देखकर मेरा दिल बैठ जाता है। क्या इसके लिए केवल फिल्म इंडस्ट्री ही दोषी है। फिल्मों में महिलाओं की इस गिरावट में दर्शकों की कोई भागीदारी नहीं है।

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