अयोध्या में 22 जनवरी को विराजेंगे श्रीराम, रामलला के पूजा और स्तुति में भी किये जायेंगे कई बदलाव…

अयोध्या। रामलला के मुख्य अर्चक आचार्य सत्येंद्रदास के अनुसार अभी तक रामानंदीय परंपरा के अनुसार श्रीराम के साथ सीता की भी पूजा-स्तुति होती थी, किंतु रामलला के प्राधान्य को ध्यान में रखकर अब माता सीता के साथ संयोजित स्तुति नहीं होगी। यह निर्णय रामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के निर्देशानुसार है।

ट्रस्ट ने उपासना के विशेषज्ञ संतों से विमर्श के बाद तय किया है कि मुख्य गर्भगृह में रामलला के साथ भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न के बाल रूप सहित हनुमान जी, सरयू मैया तथा अयोध्यानाथ का आह्वान किया जाएगा। इसके साथ ही स्तुति में भी इस तरह की सजगता सुनिश्चित होगी। यहां वस्तुत: सीता की उपासना एक चूक के रूप में इंगित हुई है।

इस वजह से नहीं होगी सीता-राम की स्तुति
मूल गर्भगृह में श्रीराम का विग्रह पांच वर्षीय बालक के रूप में स्थापित किया जाएगा और ऐसे में उनके साथ सीता की उपस्थिति और अर्चना का प्रतिपादन औचित्यहीन होगा। भूतल पर स्थित मूल गर्भगृह में मां सीता की उपासना न होने की भरपाई प्रथम तल के गर्भगृह से होने की संभावना है। इस गर्भगृह में श्रीराम और सीता सहित संपूर्ण राम दरबार की स्थापना की जाएगी। इसमें भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न सहित हनुमान जी की भी प्रतिमा होगी।

गुप्तारघाट, नयाघाट की सभी नावें होंगी जीपीएस से लैस
प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को लेकर सरयू नदी से भी निगरानी सुदृढ़ की जा रही है। गुप्तारघाट एवं नयाघाट से संचालित होने वाली सभी स्थानीय नावों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाएगी। सभी नावों को ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम से लैस किया जाएगा, ताकि नदी में नावों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। स्थानीय नाविकों एवं गोताखोरों से भी निगरानी में सहयोग लिया जा रहा है।

अधिकारियों ने की गोताखोरों संग बैठक
गुरुवार को गुप्तारघाट पर आइजी रेंज प्रवीण कुमार एवं एसएसपी राजकरन नय्यर ने नाविकों एवं गोताखोरों के साथ बैठक की। आइजी ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव को सुरक्षित ढंग से सफल बनाने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है।

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