नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वन संरक्षण अधिनियम में हालिया संशोधन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को केंद्र से जवाब मांगा। जस्टिस बीआर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और कानून एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी किया।
याचिका के जरिये वन संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2023 की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि 2023 का संशोधन अधिनियम मनमाने तरीके से वन भूमि में कई तरह की परियोजनाओं और गतिविधियों की अनुमति देता है। ऐसा करते हुए यह वन संरक्षण कानून के दायरे से उन्हें छूट देता है। वन संरक्षण संशोधन विधेयक 2023 को लोकसभा ने 26 जुलाई को और राज्यसभा ने अगस्त में पारित किया था।
इसके जरिये देश की सीमाओं के 100 किमी के भीतर की जमीन को संरक्षण कानूनों के दायरे से छूट देने का प्रविधान किया गया है तथा वन क्षेत्रों में प्राणि उद्यान, सफारी (जंगल की यात्रा) एवं पारिस्थितिकी पर्यटन की सुविधाओं की अनुमति दी गई है।