नई दिल्ली। केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड समेत कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यों को सतर्क रहने को कहा है। कोरोना के जेएन.1 वैरिएंट के कारण बढ़ते संक्रमण में 92 प्रतिशत से अधिक मरीजों के घर पर ही आइसोलेशन में इलाज का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इससे फिलहाल डरने की जरूरत नहीं है।
हर तीन महीने में मॉक ड्रिल की जरूरत: स्वास्थ्य मंत्री
बुधवार को जेएन.1 वैरिएंट के 21 मामले सामने आए। इनमें सबसे अधिक 19 मामले गोवा में सामने आए हैं। एक मामला केरल और एक महाराष्ट्र में सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जेएन.1 को वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया है।
राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक में मांडविया ने टेस्टिंग बढ़ाने और अधिक से अधिक मामलों को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने और कोरोना के लिए पहले से तैयार प्रणाली के हर तीन महीने में मॉक ड्रिल कर टेस्ट करने की जरूरत बताई।
केरल में कोरोना के 292 नए मामले सामने आए
बुधवार सुबह आठ बजे अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना संक्रमण के 614 नए मामले सामने आए। 21 मई के बाद एक दिन में संक्रमण का यह सबसे ज्यादा आंकड़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 2,311 हो गई है।
केरल में कोरोना के 292 नए मामले सामने आए और तीन मरीजों की मौत हो गई। केरल में सक्रिय मामलों की संख्या 2,041 हो गई है।
अमेरिका में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा
कर्नाटक में 64 साल के एक बुजुर्ग की मौत हो गई। राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने देश और दुनिया में कोरोना संक्रमण के हालात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चीन, ब्राजील, जर्मनी और अमेरिका में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है और इसके लिए मुख्य तौर पर जेएन.1 वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। लेकिन भारत में अब भी संक्रमण की दर इन देशों की तुलना में कम है।
जेएन.1 वैरिएंट का कोई भी क्लस्टर (एक जगह ढेर सारा मामला) सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि भारत में 92.8 प्रतिशत संक्रमित व्यक्तियों का घर पर आइसोलेशन में इलाज चल रहा है। सिर्फ अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है। जिन व्यक्तियों की मौत हुई है, वे भी किसी न किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे।
नए वैरिएंट की पहचान सबसे जरूरी: स्वास्थ्य मंत्री
मनसुख मांडविया ने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट की पहचान सबसे जरूरी है और इसके लिए राज्यों को टेस्टिंग बढ़ानी पड़ेगी और सभी कोरोना पॉजिटिव सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजना सुनिश्चित करना होगा।
उन्होंने कोरोना काल के दौरान लगाए गए आक्सीजन प्लांट और वेंटिलेटर आदि का हर तीन महीने पर माक ड्रिल करने को कहा, ताकि जरूरत पड़ने पर उनका तत्काल इस्तेमाल किया जा सके। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों को दवाइयों और अन्य जरूरी उपकरणों का जरूरी स्टाक बनाए रखने को कहा।
विशेषज्ञों ने कहा- घबराने की जरूरत नहीं
देश में जेएन.1 वैरिएंट के बढ़ते मामलों के बीच विज्ञानियों ने कहा कि यह न तो आश्चर्यजनक है और न ही विशेष रूप से ¨चताजनक है। उन्होंने मौजूदा एहतियाती उपायों का पालन करने की सलाह भी दी है। वरिष्ठ चिकित्सक और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि इन्फ्लुएंजा सहित सांसों से जुड़े अधिकांश वायरस के साथ ऐसा होता है। इस तरह के वायरस अपना स्वरूप बदलते रहते हैं। इसलिए कोरोना का यह वैरिएंट बिल्कुल आश्चर्यजनक नहीं है।