गोशालाओं में सर्दी से बचाव के नहीं इंतजाम,रात में चल रही सर्द हवाओं से ठिठुर रहे गोवंश!

  • गौशालाओं में गोवंशों को ठंड से बचाने के इंतजाम नाकाफ़ी
  • मुख्य विकास अधिकारी के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे प्रधान व सचिव
  • खाने को नहीं है पर्याप्त हरा चारा और भूसा, सूखा पुआल का भूसा खाने को मजबूर

लखनऊ। निराश्रित गोवंशों का सरकारी गोशालाओं में बुरा हाल है। कड़ाके की सर्दी में भी पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से गोवंश ठिठुरने को मजबूर हैं। ऊपर से टिनशेड डाल दिया गया है। जबकि चल रहीं शीतलहर से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।निष्पक्ष प्रतिदिन की टीम ने विकासखंड बीकेटी में स्थित गोशालाओं की पड़ताल की, तो यह हकीकत सामने आई।कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। जनमानस से लेकर पशु-पक्षी तक कांप रहे हैं, लेकिन गोशालाओं में रखे गए गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए तिरपाल के आलावा कोई अतिरिक्त उपाय नहीं किए गए। जो कुछ दान में मिल गया उसी के दम पर कुछ व्यवस्थाएं कर ली गईं। शासन से कोई अतिरिक्त बजट नहीं मिलने से कहीं पर काऊ कोट नहीं भेजे गए हैं। गौशालाओं में गोवंशो को ठंड से बचाने के लिए मुख्य विकास अधिकारी के आदेशों को प्रधान और सचिव ठेंगा दिखा रहे है।

क्षेत्र के गांव मानपुर लाला में स्थित गोशाला में करीब 175 गोवंश हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इनमें से कुछ गायें ज्यादा कमजोर हैं। वैसे तो ठंड से बचाने के लिए नीचे फर्श, ऊपर टिनशेड और साइडों पर पांच फीट की तिरपाल लगाई गई है।ग्राम प्रधान का कहना है कि सर्दी से बचाव के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।लेकिन देखने में आया कि गोवंशों को अभी तक काऊ कोट उपलब्ध नहीं कराये जा सकें हैं।जबकि मुख्य विकास अधिकारी अजय जैन ने कई बार काऊ कोट उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है।लेकिन मुख्य विकास अधिकारी के आदेशों को प्रधान और सचिव नहीं मान रहे हैं।गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए प्रशासन के सारे दावे फेल नजर आ रहे हैं।वही ग्रामीणों के अनुसार गौशालाओं में आए दिन मवेशियों की मौतें हो रही हैं। चारा-भूसे के इंतजाम न काफी हैं। व्यवस्थाएं सब कागजी हैं। सर्दी का आगाज पूरी तरह से हो चुका, लेकिन गोवंश के बचाव के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए। कुछ जगहों पर टीनशैड हैं, लेकिन वहां सर्द हवाओं से बचाव के इंतजाम नहीं हैं। विकासखंड क्षेत्र के गांव महिगवां,किशुनपुर, सुवशीपुर, उसरना, भगौतीपुर, इंदारा, सोनवा, ढिलवासी, मण्डौली, चकपृथ्वीपुर, अचरामऊ, सहदातनगर गढ़ा, परसहिया, अल्दमपुर, पहाड़पुर,मानपुर लाला, सुल्तानपुर,पालपुर, कौडियामऊ, कुम्हरावां में अस्थाई गोशालाएं हैं।

गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए विभागीय एडवाइजरी
सर्दियों में पशुओं को धूप में बांधना है। लेकिन ठंडी हवा से बचाव करना जरूरी है। पशुओं के बैठने के स्थान पर पुआल या कोई नर्म चीज डालनी है, जिससे सफाई आसानी से हो सके। ताजा पानी ही पिलाना हैं। जो अधिक गर्म या अधिक ठंडा न हो। पशुओं को बरसीम या अन्य हरा चारा खिलाने से पहले थोड़ा सूखा चारा खिलाया जाना हैं।बरसीम आदि के चारे को सूखे चारे में मिलाकर खिलाना है। सर्दियों में रात के समय सूखा चारा खिलाना लाभदायक रहता है, इससे पशुओं का तापमान संयमित रहता है। संभव हो तो अलाव की व्यवस्था की जाए। समय-समय पर आश्रय स्थलों को विसंक्रमित किया जाना है।

खाने को नहीं है पर्याप्त हरा चारा और भूसा
गोशालाओं में गोवंशों के लिए हरे चारे की व्यवस्था नहीं हैं। पीने के पानी की कुंडी बनी हुई है, इनमें ठंडा पानी भरा रहता है। इसी को पीने के लिए गोवंश मजबूर हैं। भुसे के नाम पर सिर्फ पुआल का भूसा खाने को दिया जा रहा है।

जिम्मेदार बोले
गोशालाओं में गोवंशों को ठंड से बचाने के लिए टिन शेड के चारों तरफ तिरपाल लगाने,गोवंशो को काऊ कोट पहनाने और अलाव जलाने के निर्देश दिये गये हैं।अगर गोवंशों को ठंड से बचाव के इंतजाम नहीं किये हैं, तो औचक निरीक्षण कर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अजय जैन मुख्य विकास अधिकारी

पत्रकार– अजय सिंह चौहान

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