पूरा बाजार- अयोध्या। कहते हैं कि शव यात्रा में शामिल लोग जब अंत्येष्टि स्थल में कुछ पल बिताते हैं तो उनको आभास होता है कि जिस मोह माया के चक्कर में हम पड़े हैं वह यहीं पड़ा रह जाएगा। इसलिए हाय तौबा की क्या जरुरत है हम बात कर रहे हैं ग्राम पंचायतों में बनने वाले अंत्येष्टि स्थल की। शासन की मंशा थी कि ग्रामीण क्षेत्र में खेत, खलिहान में जलाए जाने वाले शवों से फैलने वाले प्रदूषण को रोकने और लोगों को शवदाह के लिए बेहतर व्यवस्था देने को अंत्येष्टि स्थल का निर्माण कराया जाए। अत्याधुनिक अंत्येष्टि स्थल निर्माण के लिए सरकार ने धनराशि भेज भी दिया और अलग-अलग वित्तीय साल में बनकर तैयार भी हो गए अभी तक विकास खंड पूरा में पांच अंत्येष्टि स्थल के लिए बजट आ चुका जिसमें रामपुर हलवारा व कछौली में पिछले कई वर्षों से बनकर तैयार भी हो गए और गिरना भी शुरू हो गया लेकिन आज तक एक भी शव वहां पर नहीं जले मूड़ाडीहा व मड़ना में भी लगभग 25-25 लाख की लागत से पिछले एक वर्ष से शवदाह स्थल बनकर तैयार है लेकिन यहां भी आज तक एक भी दाह संस्कार नहीं हुआ ग्रामीणों का कहना है कि मूडाडिहा शवदाह स्थल के मुख मार्ग पर दबंगो का कब्जा है जिससे शवदाह स्थल पर पहुंचने के लिए कोई रास्ता न होने के कारण वहां पर दाह संस्कार नहीं हो रहा है यही हाल मड़ना में भी है वहां के लोग बताते हैं कि सही जगह का उपयोग न करके गलत जगह पर बने दाह संस्कार स्थल पर कोई नहीं जा रहा है क्योंकि वहां से सरजू घाट करीब होने के कारण लोग सरजू घाट पर चले जा रहे हैं इसलिए उसका उपयोग कोई नहीं कर रहा है तथा रसूलाबाद निर्माणाधीन है लेकिन दुर्भाग्य है कि जो भी शवदाह स्थल बने हैं वहां आज तक एक भी शव नहीं जलाए गए इससे यह प्रतीत होता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया इस संबंध में जब एडियो पंचायत पूरा धनजीत से बात हुई तो उन्होंने बताया कि जो ग्राम सभा द्वारा जमीन उपलब्ध कराई गई वहीं पर शवदाह स्थल का निर्माण कर दिया गया है जिसकी देखरेख ग्राम सभा द्वारा की जाती है