नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी को स्वास्थ्य आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि वो मेडिकल आधार पर जमानत की मांग से संतुथ्ट नहीं है। साथ ही हमें लगता है कि आपकी बीमारी इतनी गंभीर भी नहीं है।
सेंथिल बालाजी ने वापस ली याचिका
सुप्रीम कोर्ट के इस रुख के बाद सेंथिल बालाजी ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले ली है। सुनवाई के दौरान सेंथिल बालाजी की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा कि वो नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में याचिका दाखिल करेंगे। फिलहाल वो सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले रहे हैं। पीठ ने कहा, “गुण-दोष के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अंतरिम आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी याचिकाकर्ता के नियमित जमानत आवेदन दाखिल करने के रास्ते में नहीं आएगी।” जैसे ही पीठ ने मामले पर विचार न करने की इच्छा व्यक्त की, मंत्री के वकील ने याचिका वापस ले ली और मामले को वापस लिया गया मानकर खारिज कर दिया गया।
हाईकोर्ट ने भी खारिज की याचिका
संथिल बालाजी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल में बंद हैं। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की हालिया मेडिकल रिपोर्ट तलब की थी। इससे पहले बालाजी ने खराब सेहत का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में मेडिकल ग्राउंड पर जमानत देने की अर्जी मंजूर करने की गुहार लगाई थी। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बालाजी के वकील से कहा था कि 28 नवंबर को अगली सुनवाई पर ताजा स्वास्थ्य रिपोर्ट पेश की जाए। वहीं, बालाजी की जमानत अर्जी मद्रास हाईकोर्ट ने पिछले महीने अक्तूबर में ही खारिज कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया तर्क
सुप्रीम कोर्ट ने पहले बालाजी को अपनी मेडिकल रिपोर्ट रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया था। जमानत याचिका खारिज करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा था कि बालाजी की स्वास्थ्य रिपोर्ट से ऐसा नहीं लगता कि यह कोई चिकित्सीय स्थिति है, जिसका ध्यान तभी रखा जा सकता है, जब उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। बालाजी को 14 जून को ईडी ने नौकरी के बदले नकदी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था, जब वह पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक शासन के दौरान परिवहन मंत्री थे।