नव उमंग साहित्य संस्थान की कविगोष्ठी में बही साहित्य की धारा

त्रिवेदीगंज-बाराबंकी। नव उमंग साहित्य संस्थान की कविगोष्ठी रविवार को मंगलपुर में हुई। वरिष्ठ लोक गीतकार सन्त प्रसाद जिज्ञासु की अध्यक्षता में आयोजित गोष्ठी का संचालन वेद प्रकाश सिंह प्रकाश ने किया। गोष्ठी की शुरुआत साहित्यकार श्रवण वाजपेयी अकेला की वाणी वन्दना से हुई तत्पश्चात सौरभ वर्मा स्माइल ने मुक्तक हवाओं का देखो असर हो रहा है मेरा गांव भी अब शहर हो रहा है पढ़ा तो श्रवण वाजपेयी अकेला ने किसानों की दशा का वर्णन गीत ओ भारत के दाता तेरा दर्द न जाने कोय रे से किया। कवि व पत्रकार सुनील वाजपेयी शिवम् ने समसामयिक विषयों के अलावा मानवीय सरोकार से जुड़ी मुश्किल बड़ा संभालना तरुणाई का जोश तथा फूल सृष्टि का नारियां खिलती रूप अनेक जैसी रचनाएं सुनाईं। वरिष्ठ कवि वेद प्रकाश सिंह प्रकाश ने कल कल करते कब कर लोगे लगो अभी से स्वर्ण काल है जैसी प्रेरक रचनाएं सुनाईं तो वहीं जितेन्द्र त्रिवेदी पार्थ के बाद संत प्रसाद जिज्ञासु ने लोकगीत वो गीत नहीं निकला जिय से, जीवन बीता जाय जैसे गीतों से विभोर कर दिया।

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