दिल्ली। मुसलमानों को इस्लामिक कानून के तहत एक से ज्यादा विवाह करने का अधिकार प्राप्त है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वो अपनी एक पत्नी से अलग तो दूसरी से अलग तहर से बर्ताव करे।
सभी पत्नियों से करना होगा एक जैसा व्यवहार
मुस्लिम शख्स को अपनी सभी पत्नियों से समान तरीके से बर्ताव करना होगा और उन्हें समान अधिकार देने होंगे। दरअसल, ये टिप्पणी मद्रास हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने कहा कि मुसलमानों को बहुविवाह का अधिकार है, लेकिन उन्हें सभी पत्नियों के साथ एक जैसा व्यवहार करना होगा।
पती ने पत्नी को किया प्रताड़ित
बार एंड बेंच में दी गई जानकारी के अनुसार, एक केस में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति आरएमटी टीका रमन और न्यायमूर्ति पीबी बालाजी की पीठ ने तिरुनेलवेली की एक पारिवारिक अदालत के फैसले को बरकरार रखा, जिसने क्रूरता के आधार पर विवाह विच्छेद का आदेश दिया था।
खंडपीठ ने कहा कि पति और उसके परिवार ने अपनी पहली पत्नी को प्रताड़ित किया और परेशान किया। इसके बाद उसने दूसरी पत्नी से शादी की और उसी के साथ रह रहा।
कोर्ट ने ये सुनाया फैसला
कोर्ट में पत्नी ने कहा कि पति प्रेगनेंसी के दौरान भी उसका ख्याल नहीं रखता था और खाना भी सही से नहीं मिलता था। इसके चलते वो अपने मायके चली गई। उसने कहा कि इसके बाद पति ने उसे घर आने को कहा और न आने पर उसने दूसरी शादी कर ली।