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बपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी को इस बार उनके संसदीय क्षेत्र डायमंड हार्बर सीट से बड़ी चुनौती मिलने वाली है. 2021 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाके से जीत दर्ज करने वाले इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के नौशाद सिद्दीकी ने इस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की घोषणा की है.
उन्होंने अभिषेक बनर्जी को हराने की भी चुनौती दी है. खास बात ये है कि मुस्लिम तबके के बीच खासा लोकप्रिय नौशाद सिद्दीकी तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं.
2014 से चुनाव जीतते रहे हैं अभिषेक बनर्जी
अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक दक्षिण 24 परगना जिले की डायमंड हार्बर सीट से 2014 से अभिषेक बनर्जी सांसद चुने जाते रहे हैं. ये मुस्लिम बहुल इलाका है जहां तृणमूल कांग्रेस का हमेशा से वर्चस्व रहा है. बावजूद इसके 2021 के विधानसभा चुनावों में सिद्दीकी ने जिले की भांगर सीट से चुनाव जीतकर सत्ताधारी टीएमसी को तगड़ा झटका दिया था. भांगर विधानसभा सीट भले ही डायमंड हार्बर लोकसभा सीट का हिस्सा नहीं है, लेकिन ये दक्षिण 24 परगना जिले में है जहां की कुल मुसलमान आबादी 35 फीसदी से अधिक है.
मुस्लिम वोट बैंक पर रहा है TMC का एकाधिकार
पश्चिम बंगाल में सीपीएम सरकार के 34 साल लंबे शासन को खत्म कर 2011 में टीएमसी ने पश्चिम बंगाल की सत्ता संभाली थी. तब से लेकर अब तक पार्टी को राज्य के मुस्लिम वोट बैंक पर लगभग एकाधिकार रहा है. 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 27.01 फीसदी मुस्लिम हैं.
हाल के चुनावों में मुस्लिमों ने पार्टी को दिया झटका
हालांकि 2021 के विधानसभा चुनाव से लेकर हाल के दिनों में राज्य के कई हिस्सों में मुस्लिम आबादी ने TMC को तगड़ा झटका दिया है. इसी साल फ़रवरी में मुर्शिदाबाद के सागरदिघी विधानसभा उपचुनाव में टीएमसी को हार मिली थी. इस सीट पर मुस्लिम आबादी 66.28 फीसदी है.
डायमंड हार्बर लोकसभा सीट में आबादी की बात की जाए तो यहां 52 फीसदी मतदाता मुस्लिम हैं जिन्होंने 2014 से लगातार अभिषेक बनर्जी का समर्थन किया है. हालांकि इस तबके के बीच, नौशाद सिद्दीकी का प्रभाव जबरदस्त है. इसलिए डायमंड हार्बर से नौशाद का चुनाव लड़ना अभिषेक बनर्जी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
अभिषेक बनर्जी ने 2014 का चुनाव इसी सीट से 70 हजार से अधिक वोटों के अंतर से जीते था, इसके बाद 2019 में इन्होंने 3.2 लाख मतों से बढ़त बनाते हुए इस सीट पर दोबारा जीत हासिल की थी.
पहली बार अस्तित्व में आई ISF ने भी TMC को दिया था झटका
वहीं दूसरी तरफ़ इंडिया सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) पहली बार 2021 के विधानसभा चुनाव से अस्तित्व में आई और पहले ही चुनाव में नौशाद सिद्दीकी ने जीत दर्ज कर टीएमसी को तगड़ा झटका दिया था. नौशाद के बड़े भाई और हुगली जिले की जानीमानी फुरफुरा शरीफ मस्जिद में मौलाना पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने बनाई है. इस मस्जिद को मुसलमानों के लिए सबसे प्रभावी इबादतगाह कहा जाता है.
2021 में आईएसएफ ने वामपंथी लेफ्ट फ्रंट और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. इसी साल जुलाई में हुए पंचायत चुनावों में आईएसएफ ने भांगर समेत कई और सीटों पर टीएमसी को कड़ी टक्कर दी थी. भांगर में स्थिति इतनी बिगड़ गई कि यहां दोनों पार्टियों के समर्थकों में झड़पें और मौत तक हुईं. अब लोकसभा चुनाव में नौशाद की चुनौती सुर्खियों में है.