मध्यप्रदेश। तीन दिसंबर को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे लेकिन उससे पहले बालाघाट से आए एक वीडियो से सियासी पारा चढ़ गया है। कांग्रेस का आरोप है कि पोस्टल बैलट के स्ट्रॉन्ग रूम में बैलेट पेपर से छेड़छाड़ हुई, वहीं ज़िला प्रशासन का कहना है कि लिफाफे में बंद मत पत्रों के 50-50 बंडल बनाए जा रहे थे जो एक रूटीन प्रक्रिया है।
ऐसे मतदाताओं को सर्विस वोटर भी कहा जाता है। अब होता ये है कि निर्वाचन अधिकारी अपने विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक सर्विस वोटर को पोस्टल बैलेट पेपर प्रिंट करके भेजता है। इसे फिर लिफाफे में रखा जाता है। हालांकि अब एक नये तरीके यानी इलेक्ट्रॉनिक पोस्टल बैलेट सिस्टम भी आ गया है। इसके जरिए भी सर्विस वोर्टस को सुविधा मिलती है। इस प्रक्रिया में मतदान होने के बाद पोस्टल बैलेट चुनाव आयोग के सक्षम अधिकारी को डाक के जरिये ही वापस भेजा जाता है। चुनाव नियमावली, 1961 के नियम 23 में संशोधन करके पोस्टल बैलट से मतदान का प्रावधान किया गया है।
विधानसभा चुनाव से पहले सेवा मतदाताओं को पोस्टल बैलट दे दिया जाता था और वह उसको डाक से भेज देते थे अपने रिटर्निंग अफसर के पास। मान लीजिये कोई भोपाल का वोटर है और उसकी ड्यूटी बैरसिया में लगी है। अब चुनाव वाले दिन वो बैरसिया में ड्यूटी कर रहा है, भोपाल आकर अपना मतदान नहीं कर सकता तो वो पहले ही पोस्टल बैलट के लिए आवेदन देगा। इसके लिए उसे फॉर्म 12 भरना होगा। जिसके बाद उसे पोस्टल बैलट मिल जाता है। मतदान के बाद वो उसे भोपाल के सक्षम अधिकारी को डाक के जरिए से भेज देगा।
भोपाल के सेवा कर्मचारी ने बैरसिया में पोस्टल बैलट से मतदान किया तो फिर वहीं एक स्ट्रांग रूम बना कर पोस्टल बैलट रख दिया जाता है, क्योंकि वहां भोपाल के करीब के इलाके जैसे फंदा, मिसरोद और कोलार के सेवा मतदाताओं की भी ट्रेनिंग है। दूसरा तरीका यह है कि उसी दिन शाम में बैरसिया से उस पोस्टल बैलट को लाकर जो भोपाल विधानसभा के पोस्टल बैलट है उनके साथ रख दिया जाए। इसी तर्ज पर बालाघाट में भी पोस्टल बैलेट का इस्तेमाल हुआ। बालाघाट ज़िले में मतदानकर्मियों की सेंट्रल ट्रेंनिंग हुई, जहां जिला मुख्यालय पर बालाघाट, लांजी, बैहर, परसवाड़ा, वारासिवनी और कटंगी जैसे 6 विधानसभा के डाक मतपत्र थे।
बालाघाट में क्या हुआ
बालाघाट में वहां की विधानसभा के 1308,बैहर के 429,परसवाड़ा 452,वारासिवनी 391 और कटंगी के 126 पोस्टल बैलेट आए थे। जिन्हें 50-50 के बंडल में 2 दिसंबर से पहले उनके मतगणना केन्द्र तक पहुंचाना था। जिसकी सूचना सारे उम्मीदवारों को लिखित में भेजी गई थी।
नोडल अफसर क्यों हुए निलंबित
अब बड़ा सवाल ये है कि जब सबकुछ प्रक्रिया के तहत हुआ तो फिर नोडल अफसर को निलंबित क्यों किया गया। जो सूचना दी गई थी वो 3 बजे की थी लेकिन नोडल अधिकारी ने 2 बजे के आसपास ही छंटनी का काम शुरू कर दिया।
ये सब कुछ सीसीटीवी की निगरानी में था और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी वहां मौजूद थे। उनकी ही मौजूदगी में पंचनामा भी बनाया गया था। लेकिन चूंकि ये पूरा काम वक्त से पहले शुरू हो गया था, लिहाजा डिवीजनल कमिश्नर की अनुशंसा पर ये कार्रवाई हुई। दूसरी तरफ चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि अगर पूरी प्रक्रिया 2 तारीख को की गई होती तो फिर ये असमंजस नहीं होता।