लाइलाज है बीमारी प्रभावित अंगों की समुचित देखभाल ही उपाय
बलिया। न्यू प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नवानगर में रुग्णता प्रबंधन व दिव्यांग्ता रोकथाम (एमएमडीपी) कैम्प का आयोजन किया गया। इसमें 18 फाइलेरिया रोगियों को प्रभावित अंगो की देखभाल की किट देकर प्रशिक्षित किया गया।
इस दौरान मलेरिया इंस्पेक्टर सुशील कुमार यादव ने फाइलेरिया प्रभावित अंगों के रुग्णता प्रबंधन का अभ्यास कराया। बताया कि मरीजों को प्रभावित अंग की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए। जिससे किसी प्रकार के संक्रमण से मरीज न प्रभावित हो। इसके लिए उन्हें साफ-सफाई और प्रभावित अंग के अनुसार नियमित रूप से व्यायाम करना सिखाया गया। कहा कि यह लाइलाज बीमारी है। इसलिए किसी भी प्रकार के झाड़-फूँक या ऑपरेशन आदि के बजाय बताए गए व्यायाम को अपनाकर इसे गंभीर होने से रोका जा सकता है।
जिला मलेरिया अधिकारी सुनील कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसे हाथीपांव भी कहा जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों मे हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तन में सूजन की समस्या आती है। यह बीमारी न सिर्फ व्यक्ति को दिव्यांग बना देती है, बल्कि इस वजह से मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया का सम्पूर्ण इलाज तो नहीं है, लेकिन बीमारी की शुरुआत में सरकारी अस्पताल से दवा का सेवन किया जाए तो बीमारी को बढ़ने से रोक सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्वस्थ व्यक्तियों को यह बीमारी न हो।इसके लिए वर्ष में एक बार एमडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाती है।
इसके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आस- पास व अंदर साफ-सफाई रखें, आस पास पानी जमा न होने दें। जनपद में लिम्फोडिमा फाइलेरियासिस (एलएफ़) के 4269 मरीज हैं। इन मरीज़ों में से 4197 मरीजों को एमएमडीपी किट वितरित की जा चुकी हैं।