विदेश मंत्रालय ने कहा- श्रमिकों की आवाजाही को लेकर है समझौता

 नई दिल्ली। गाजा में इजरायल-फलस्तीन के बीच चल रहे संघर्ष के बावजूद हजारों भारतीय इजरायल में नौकरी की तलाश में जुटे हैं। ऐसे में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने गुरुवार को कहा कि वह विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी के प्रति पूरी तरह सचेत है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश ने तो इजरायल में श्रमिकों की नौकरी के लिए इच्छुक भारतीयों की स्क्रीनिंग भी शुरू कर दी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा कि पिछले साल इजरायल-हमास संघर्ष शुरू होने से काफी पहले भारत ने इजरायल के साथ श्रमिकों की आवाजाही को लेकर समझौता किया था। जयसवाल ने अपनी साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि दुनियाभर के कई देशों के साथ हमारे कामगारों-श्रमिकों की आवाजाही को लेकर समझौते हैं और अब इजरायल भी उनमें से एक है।

इजरायल में कार्यरत हैं भारतीय

उन्होंने कहा कि इस समझौते के पीछे विचार यह था कि हम एक संस्थागत तंत्र विकसित करें, जिससे देश में प्रवासन को नियंत्रित करे। जयसवाल ने कहा कि बड़ी संख्या में भारतीय पहले से ही इजरायल में कार्यरत हैं, खासकर स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि हमारे पास पहले से ही बड़ी संख्या में लोग हैं जो विशेष रूप से इजरायल में देखभाल करने वाले क्षेत्र में जाना चाहते हैं। इस समझौते के माध्यम से हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वहां जाने वाले लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए।

इजरायल में कम से कम 10,000 श्रमिकों को भेजने की योजना

दिसंबर में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों ने इजरायल में नौकरी के लिए निर्माण श्रमिकों से आवेदन मांगे थे। अब इनकी स्क्रीनिंग चल रही है। सरकार की योजना इजरायल में कम से कम 10,000 श्रमिकों को भेजने की है। इन श्रमिकों का चयन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा किया जाएगा।

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