नई दिल्ली। मानसून के मद्देनजर दिल्ली के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री सौरभ भारद्वाज मंगलवार को आईटीओ स्थित यमुना बैराज की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने विभाग के अधिकारियों संग आईटीओ बैराज की वर्तमान स्थिति का निरीक्षण किया।
अधिकारियों ने बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए बैराज पर चल रहे काम की संपूर्ण जानकारी मंत्री सौरभ भारद्वाज जी के समक्ष रखी। बीते वर्ष मानसून के समय इसी बैराज के कारण यमुना में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी, जिसके कारण यमुना के आसपास के क्षेत्र में जल भराव हो गया था और लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
बीते वर्ष की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मानसून के आने से पहले ही इस बार परिस्थितियों से निपटने की तैयारी शुरू कर दी गई है। उन्हीं तैयारी का जायजा लेने ही मंत्री सौरभ भारद्वाज आईटीओ बैराज पहुंचे। इस मौके पर मंत्री सौरभ भारद्वाज ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि पिछले साल जिस मात्रा में वर्षा हुई और हरियाणा की ओर से जितना पानी यमुना में छोड़ा गया, बीते कई दशकों में इतना पानी कभी यमुना में नहीं आया था और यही कारण था कि बीते वर्ष यमुना में बाढ़ की स्थिति बन गई थी।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह बैराज हरियाणा सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, इस बैराज के संचालन की जिम्मेदारी हरियाणा सरकार की है परंतु बीते वर्ष की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही इस बार दिल्ली सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने समस्या से निपटने के लिए हरियाणा सरकार के साथ तालमेल करके सारी तैयारियां की हैं।
बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए एक नई तकनीक की जानकारी देते हुए भारद्वाज ने बताया कि इस बार यमुना में पानी इकट्ठा ना हो और बाढ़ की स्थिति पैदा ना हो, उससे निपटने के लिए पहली बार एक प्रयोग दिल्ली के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रयोग को पायलट कट कहा जाता है। इस प्रयोग के तहत बैराज के आसपास वर्षों से जमा मिट्टी को ठीक बैराज के सामने से खोदते हुए दूर तक छोटी-छोटी नहरें बना दी जाती हैं।
इस कार्य को करने में यमुना में बनाई गई कृत्रिम नहरों के बीच में वर्षों से जमा मिट्टी के छोटे छोटे टापू बन जाते हैं और जब पीछे से बारिश का पानी हरियाणा की तरफ से छोड़ा जाएगा, तो वह तेज बहाव के साथ इन कृत्रिम नहरों से होते हुए आगे निकलेगा और उसके बहाव के साथ बीच-बीच में बने मिट्टी के ये टापू उस पानी के साथ बहकर आगे निकल जाएंगे, जिससे कि पानी के रुकने की सारी संभावनाएं समाप्त हो जाएंगी और पानी तेज प्रवाह के साथ आगे निकल जाएगा। इस प्रक्रिया के माध्यम से यमुना में पानी के रुकने की कोई गुंजाइश नहीं रहेगी और जब पानी के प्रवाह में कोई रुकावट ही नहीं होगी तो बाढ़ की संभावनाएं भी समाप्त हो जाएंगी।
भारद्वाज ने कहा कि विभाग का मंत्री होने के नाते मैं आप लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमने इस वर्ष इस प्रकार से तैयारी की हैं कि हमें पूरी उम्मीद है कि इस वर्ष यमुना में बाढ़ की स्थिति नहीं बनेगी।