मनरेगा श्रमिकों ने बदली 1155 ग्राम पंचायतों की सूरत

प्रशासन की पहल से बढ़े ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर

धरातल पर लौटी मुख्यमंत्री की विकास योजनाएं, ग्रामीणों ने सराहा

बाराबंकी। महात्मा महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहा हैं। इसकी रफ्तार हाल के दिनों में काफी तेज हुई है। जिसके बाद मनरेगा जनपद के गरीब परिवारों के बीच खुशहाली बांटने का सबसे सशक्त माध्यम बनाकर उभरी है। मनरेगा के जरिए विभिन्न विकास कार्यों से ग्रामीणों को रोजगार गांरटी योजना से जोड़कर उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचा रही है। वहीं ग्राम रोजगार सेवक अपने ग्राम पंचायतों में बखूबी अपने कार्यों को निभा रहे है, जिससे गांव के सभी ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है और सुदूर गांव तक लोग सरकार की योजनाओं से लाभांवित भी हो रहे है। बता दें कि मनरेगा जनपद की सभी ग्राम पंचायतों के लिए विकास का मॉडल बनी हुई है। गांवों में हो रहे विकास कार्यों में बदलते भारत की तस्वीर नज़र आती है। जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार व मुख्य विकास अधिकारी अ. सुदन की देखरेख और मनरेगा उपायुक्त बृजेश कुमार त्रिपाठी के कुशल नेतृत्व में मनरेगा ने विकास को नई धार दी है। जिसके बाद पंचायतों की सूरत बदलने लगी है।

विदित हो कि जिले में मनरेगा से अब सिर्फ विकास के कार्य ही नहीं बल्कि ग्रामीणों की किस्मत भी बदलने लगी है। पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 15 विकास खंडो में एक लाख 49 हजार 432 ग्रामीण परिवारों को मनरेगा से जोड़कर आमदनी दोगुनी करने की मुहिम ने उनके जीवन में बदलाव किया है। जिले की कुल 1155 ग्राम पंचायतों में 3,43,628 जॉब कार्डधारक हैं, जिसमें 1,49,432 श्रमिक परिवार सक्रिय हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के तहत प्रत्येक वित्तीय वर्ष में जॉब कार्डधारकों को सौ दिन का अकुशल श्रम रोजगार उपलब्ध कराने की गारंटी दी जाती है। इसके एवज में प्रत्येक कार्य दिवस पर मनरेगा मजदूर को 230 रुपये की दर से मजदूरी का भुगतान होता है। सभी ग्राम पंचायतें मनरेगा जॉब कार्ड धारक को काम देने के लिए मस्टरोल जारी करती हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 58,86,149 मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसमें करीब 29,79,020 महिला मानव दिवस सृजित किए गए। जबकि 16,600 श्रमिक परिवारों ने 100 दिवस का रोजगार पूरा किया। बताते चलें कि नए वित्तीय वर्ष में जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए 117 करोड़ के बजट पर मुहर लग चुकी है। ऐसे में जिले की 1155 नगर पंचायतों की सूरत बदलने में मनरेगा श्रमिकों की अहम भूमिका बताई जा रही है।

अन्नपूर्णा स्टोर से मिलेगी सुविधाएं

राशन की दुकानों में आसानी से खाद्यान्न पहुंचाने और उपभोक्ताओं की सुविधा बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने सभी जिलों में संचालित राशन दुकानों को अपग्रेड कर अन्नपूर्णा स्टोर के निर्माण का फैसला किया है। जिसके अर्न्तगत जिले में भी इस योजना के तहत 75 अन्नपूर्णा दुकानों का निर्माण कराया जाना सुनिश्चित हुआ है। जिसमें 53 दुकानों का कार्य निर्माणाधीन है। और 18 अन्नपूर्णा स्टोर का कार्य पूर्ण हो चुका है। वहीं 4 अतिरिक्त अन्नपूर्णा स्टोर नए वित्तीय वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य है। यह निर्माण कार्य मनरेगा योजना के माध्यम से कराया जा रहा है। जिसके अर्न्तगत हर दुकान का क्षेत्रफल 484 वर्ग फुट निर्धारित है। ऐसी प्रत्येक दुकान बनाने पर मनरेगा के माध्यम से 8.50 लाख रुपये का खर्च आएगा। साथ ही मनरेगा के पांच हजार जॉब कार्डधारक श्रमिकों को इससे रोजगार भी मिल रहा है।

ग्राम पंचायतों में बनकर तैयार हो रहे खेल मैदान
गांव की खेल प्रतिभाओं को अब मैदान के अभाव में भटकना नहीं पड़ेगा। मनरेगा के तहत हर ग्राम पंचायत में खेल के मैदान बनाए जा रहे हैं। जहां लगभग सभी प्रकार के खेलों का अभ्यास किया जा सकेगा। ग्राम पंचायतों के प्रस्ताव पर यह काम युद्ध स्तर पर हो रहा है। मनरेगा की ओर से प्रस्तावित कार्यों में 1155 ग्राम पंचायतों में 181 खेल मैदान का कार्य अन्तिम पड़ाव पर है। जबकि 73 खेल मैदान का कार्य पूरा किया जा चुका है। शेष कार्यो को अगले वित्तीय वर्ष में पूर्ण हो की संभावना बताई जा है।

संजीवनी साबित होगी वर्मी कम्पोस्ट

बेसहारा गोवंश के गोबर से अब फसलें लहलहाएंगी। इनके गोबर से जैविक खाद तैयार किया जाएगा। इसके लिए गांवों में बनी अस्थाई गौशाला में वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है। जनपद के समस्त 15 विकासखंडों में 110 अस्थाई गौशाला पर वर्मी कंपोस्ट के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जिसके सापेक्ष में 35 वर्मी कंपोस्ट का कार्य पूरा हो चुका है जबकि 30 निर्माणाधीन है। जानकारी के मुताबिक वर्मी कम्पोस्ट निर्माण का कार्य मनरेगा के तहत किया जा रहा है। एक वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए एक लाख नौ हजार रुपये दिया जा रहा है। गड्ढों की संख्या बढ़ाई जा रही है। इस पहल से अब गौ सेवा के साथ कमाई और पर्यावरण संरक्षण का कार्य एक साथ होगा। जिसके बाद जनपद की गौशालाएं वर्मी कम्पोस्ट के लिए संजीवनी साबित होंगी।

103 विद्यालयों में हो रहा बाउंड्री का निर्माण

जिले के समस्त प्रारंभिक विद्यालय जहां चारदीवारी नहीं है या क्षतिग्रस्त है वहां पर बाउंड्री का निर्माण मनरेगा और विकास निधि से करया जा रहा है। जिसके अर्न्तगत 103 प्राथमिक विद्यालयों में 59 विद्यालयों की बाउंड्री का निर्माण कार्य अन्तिम पड़ाव पर है। जबकि 13 विद्यालयों की बाउंड्री का निर्माण पूरा कराया जा चुका है। वहीं 13 अन्य विद्यालयों की बाउंड्री का निर्माण शिक्षा विभाग द्वारा कराया गया। ऐसे में अवशेष बचे 18 विद्यालयों की बाउंड्री का निर्माण नए वित्तीय वर्ष में कराए जाने की बात विभाग ने बताई है।

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