- मौसम के बदलाव से कीट-रोगों को बढ़ने का मिला वातावरण
निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ
मार्च के महीने में आम के बाग में खास देखभाल की जरूरत होती है, क्योंकि इस समय पेड़ में बौर (मंजरी) लगते हैं, जिसकी वजह से कई तरह के कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, इसलिए समय रहते कुछ बातों का ध्यान रखकर किसान इस नुकसान से बच सकता है। मौसम के बदलाव से कीट-रोगों को बढ़ने का वातावरण मिल जाता है।मौजूदा समय में आम की बगिया में बौर आ गए हैं। बौर से लेकर फल आने तक का समय उपज के लिए खास संवेदनशील माना जाता है। वर्तमान समय बौर में भुनगा, मिज कीट और खर्रा रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। समय से इसकी रोकथाम कर ली जाए तो बेहतर फल के साथ ही प्राप्त फलों की गुणवत्ता के चलते बागवानों को अच्छे दाम मिल जाते हैं।
इन रोगों का होगा प्रकोप
आम की बागवानी में भुनगा कीट का प्रयोग, नई कोपलों में आने वाले बौर और इससे बनने वाले छोटे-छोटे फलों में होता है। प्रभावित भाग सूखकर गिर जाता है। ये कीट प्रकोप वाले हिस्से पर शहद जैसा चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं। इसके चलते पत्तियों पर काले रंग की फफूंद जमा हो जाती है। मिज की मादा मंजरियों व तुरंत बने फलों और नए कोपलों पर अंडे देती हैं। ये अंडे सूड़ी में बनकर फलों और कोपलों को अंदर-अंदर खाकर क्षति पहुंचाते हैं। इससे प्रभावित हिस्सा काला पड़कर सूख जाता है। बौर लगने के साथ ही खैरा रोग के प्रकोप का आसार दिखाई देने लगता है। इससे फल और डंठल पर सफेद चूर्ण जैसी फफूंद दिखाई देती है। इससे मंजरियां सूखने लगती हैं। इससे बचाव के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिए।
बचाव को दवा का करें छिड़काव
चंद्रभानु गुप्ता कृषि महाविद्यालय के सहायक आचार्य डा.सत्येंद्र सिंह चौहान ने कहा कि आम की बगिया में बौर से फल पकने तक देखभाल करना चाहिए। समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर आवश्यक दवाओं का छिड़काव करना जरूरी है। बताया कि आम के पेड़ में बौर निकल आने पर तीन मिली लीटर ¨नबीसीडीन प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। इससे इन कीटों व रोग पर शुरुआती दौर में ही नियंत्रण किया जा सकता है।
कीट-रोग नियंत्रण की मुख्य बातें
-खर्रा व दहिया रोग के रोकथाम के लिए कैलेक्सीन तीन मिली एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
-दूसरा छिड़काव कार्बोरिल 0.2 या क्वीनालफास 1.3 मिली और इंडोफिल एम-45 दो ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ करने से रोग नहीं लगेंगे।
-फूल खिलने या फल लगने के दौरान मार्शल 1.5 मिली या कंटाफ प्लस 1.5 मिली दवा का छिड़काव करने से बेहतर लाभ मिलेगा।
- आम में जब पूरी तरह से बौर लदे हों तो तब रासायनिक दवा का छिड़काव न करें। इससे परागण प्रक्रिया प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।