वंशवाद व परिवारवाद में सीमित रह गई मायावती

सपा, बसपा व अन्य पार्टी की भांति बसपा को नहीं मिला उत्तराधिकारी

भाजपा में मिलता है निचले स्तर के कार्यकर्ता को भी सम्मान

बलिया। दलित, गरीब व मजदूरों की लड़ाई लड़ने वाले एवं बहुजन समाज पार्टी का गठन करने वाले कांशीराम के सपनों पर बसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने परिवार के सदस्य को उत्तराधिकारी घोषित कर समाजवादी पार्टी, राजद एवं देश की अन्य पार्टियों की तरह वंशवाद व परिवार वाद तक सीमित कर दिया है। यह बातें उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने शुक्रवार को पीडब्ल्यूडी के डाक बंगले में पत्रकारों के समक्ष कही।
कहाकि काशीराम ने जिस उद्देश्य के साथ बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की थी और उसके सपने को साकार करने के लिए अनवरत संघर्ष किया। वह पार्टी आज अपने उद्देश्य से भटक गई है। कांशीराम ने सामान्य परिवार की रहने वाली महिला मायावती को अपने पार्टी में दायित्व सौंपा। जिसकी बदौलत उत्तर प्रदेश में चार बार मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रही। लेकिन उन्हें अपने पार्टी का कोई उत्तराधिकारी नहीं मिला। अंततः वह भी सपा, राजद एवं देश की अन्य पार्टियों की भांति अपने पार्टी का उत्तराधिकारी अपने परिवार के ही सदस्य को घोषित कर वंशवाद व परिवारवाद को बढ़ावा देने का काम किया है। एक भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो नीचले स्तर से लेकर ऊपर तक ईमानदारी और निष्ठा से काम करने वाले कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक के पद पर बैठाने काम करती है। जिसका जीता जागता उदाहरण हमारा देश के प्रधानमंत्री मोदी जी हैं। जिनके पिता स्टेशन पर चाय बेचकर परिवार का भरण पोषण करते थे। आज पूरे विश्व में हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जलवा चल रहा है। इसके अलावा हमारी देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू में है। जिन्होंने ने देश की सर्वोच्च कुर्सी को सुशोभित किया है। वर्ष 2014 में सपा, बसपा एक होकर चुनाव लड़ी थी। इसके बावजूद भाजपा ने अपना परचम लहराया था। ठीक उसी प्रकार वर्ष 2024 में भी उत्तर प्रदेश में भाजपा 80 सीटों पर अपनी जीत दर्ज करेगी। जिस प्रकार हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरे विश्व मे लहर चल रही है उसमें हर पार्टी दूर-दूर तक नजर नहीं आएगी।

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