प्रेग्नेंसी में इन तरीकों से करें मॉर्निंग सिकनेस को मैनेज

नई दिल्ली। प्रेग्नेंसी के पहले ट्राइमेस्टर में लगभग 13 हफ्तों तक इमोशंस का एक बहाव सा बहता रहता है। मन में खुशी, उत्सुकता, चिंता और डर जैसे सभी भाव एकसाथ आने लगते हैं। इस दौरान बच्चे के पहले स्कैन और सबकुछ ठीक होने की चिंता सबसे अधिक डराती है। पहले ट्राइमेस्टर के दौरान महसूस होने वाले लक्षणों की बात करें तो उल्टी, मितली, खाना देख कर मितली, मूड स्विंग और स्ट्रेस बना रहता है। इन्हीं लक्षणों को मॉर्निंग सिकनेस कहते हैं।

प्रेग्नेंसी के दौरान भ्रूण की इंप्लांटेशन के लिए इम्यून सिस्टम को दबाना पड़ता है और कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव होते हैं। यह शरीर की एक नेचुरल प्रक्रिया है, जिससे मॉर्निंग सिकनेस के लक्षण महसूस होते हैं। यहां इस बात का ध्यान देना जरूरी है कि मॉर्निंग सिकनेस शब्द का मतलब ये नहीं है कि इसके लक्षण मात्र सुबह ही महसूस होते हैं। ये दिन और रात कभी भी महसूस हो सकते हैं। दस में से सात महिलाओं को इसके लक्षण महसूस होते हैं। आइए जानते हैं कि मॉर्निंग सिकनेस के लक्षणों को कैसे करें कम-

ऐसे करें मॉर्निंग सिकनेस को मैनेज
भूख लगने की नौबत न आने दें। खाली पेट होने से प्रेग्नेंसी हार्मोन और भी सक्रिय होते हैं और इनके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान भूख अधिक लगती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि अभी आपको एक्स्ट्रा कैलोरी की जरूरत है। इसलिए भुने मखाना, ड्राई फ्रूट्स, फ्रूट्स जैसे हेल्दी स्नैक्स विकल्प में रखें और देर तक भूखे रह कर या इकट्ठे भर कर एक साथ खाने की जगह कई बार में थोड़ा-थोड़ा खाएं।
कुछ शोध के अनुसार मैग्नीशियम की कमी से भी मॉर्निंग सिकनेस होता है। ऐसे में आप हरी पत्तेदार सब्जियां, दाल, नट्स, सीड्स जैसी मैग्नीशियम से भरपूर चीजें खाएं या इसके सप्लीमेंट भी ले सकती हैं।
अदरक की चाय, या फ्रेश अदरक को चूसने से भी उल्टी और मितली से राहत मिलती है। अदरक, नींबू और शहद के डिटॉक्स वाटर बना कर भी पी सकती हैं।
एक्यूप्रेशर से भी मॉर्निंग सिकनेस में फायदा पाया गया है।
विटामिन बी6 लेने से मॉर्निंग सिकनेस कम होती है। केला, पिस्ता और फ्लैक्स सीड्स का सेवन करने से विटामिन बी6 पर्याप्त मात्रा में लिया जा सकता है।

Related Articles

Back to top button