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जो दूसरों का भला नहीं सोचता उसके भले की ख़ुदा भी नहीं सोंचता
बुराई जब हद से ज़्यादा हो जाती है तो इतना गिर जाती है कि अच्छाई पर हंसती नज़र आती है
ख़ुशनूदिये ख़ुदा चाहिए तो मखलूके ख़ुदा के ख़िदमतगार बन जाओ
बाराबंकी । समाज सेवी दिलो को जोड़ने वाले स्वर्गीय अल्हाज सैयद शुजाअत हुसैन रिज़वी नगरामी साहब की याद में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी कर्बला सिविल लाइन्स में इस्लामी कैलेंडर के जमादिउस्सनी की नौचन्दी जुमेरात पर आयोजित मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना नजीबुल हसन ज़ैदी ने कहा अपने आप को ऐसा बनाओ कि क़ौम समाज व मुल्क के काम आओ,कामयाबी चाहिए तो अपने नफ़्स को मारकर दूसरों की ज़रूरत को पूरा करो।
दुनिया मे अपनी ख़िताबत से भारत का नाम रौशन करने वाले मुग़ल मस्जिद मुम्बई के इमाम जमाअत हुज्जतुल इस्लाम सैयद नजीबुल हसन जैदी ने आगे कहा कि ख़ुशनूदिये ख़ुदा चाहिए तो मखलूके ख़ुदा के ख़िदमतगार बन जाओ। जो दूसरों का भला नहीं सोचता उसके भले की ख़ुदा भी नहीं सोंचता । बुराई जब हद से ज़्यादा हो जाती है तो इतना गिर जाती है कि अच्छाई पर हंसती नज़र आती है ।
आखिर में शहीदाने कर्बला के मसायब पेश किए जिसे सुनकर सभी की आंखो में अश्क छलक आये।
मजलिस में पहले डा.रज़ा मौरानवी ने पढ़ा –
सर कटाना यहां सजदे की तरह लगता है ,
हमको मक़तल भी मुसल्ले की तरह लगता है ।
शावेज़ नगरामी ने पढ़ा –
ले के तू चुल्लू में पानी डूब मर ऐ हुरमुला ,
एक बच्चे से सरे मैदान रूसवा हो गया ।
प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य रज़ा हुसैन रिज़वी ने पढ़ा -इंकलाब आज जो लाना है तो कुरआन पढ़ो ,
सोई क़ौमों को जगाना है तो क़ुरआन पढ़ो ।
अजमल किन्तूरी ने पढ़ा –
बुझने वाले थे रसूलों के हिदायत के चराग़ ,
करबला तूने किया उनको दोबारा रौशन ।
हाजी सरवर अली करबलाई ने पढ़ा-
सरवर ख़ुदा गवाह किसी ने न वह किया ,
कर्बोबला में देखो बहत्तर जो कर गये।
औसाफ़ अख़्तर आसिफ बाराबंकी व रज़ा मेहदी ने भी नज़रानये अक़ीदत पेश किया।
निज़ामत के फ़राएज़ अजमल किन्तूरी ने अंजाम दिये ।
मजलिस का आग़ाज़ मो.हसनैन आब्दी ने कलाम ए इलाही से किया।
इस मौके पर 1200 मकतबों के बोर्ड तंज़ीमूल मकातिब के बानी मौलाना गुलाम अस्करी साहब ताबे सराह के अबाई वतन बिजनौर बिजनौर लखनऊ के इमामे जुमा मौलाना मोहम्मद तक़ी साहब,असन्दरा बाराबंकी के इमामे जुमा और जमाअत मौलाना अयाज़ साहब,मलका तालीम गाह कॉलेज के मैनेजर और अंजुमन मुइनुल मजलिस के सेक्रेटरी कफील हैदर, फ़ातिमा सोसाइटी के हाजी रईस साहब,ज़ीशान हैदर साहब ,केसरवा सादात की मुमताज शख्सियत हमदर्द ए मिल्लत हसन रज़ा के अलावा बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे
अंत मे खानवादये सैयद शुजाअत हुसैन रिज़वी साहब की तरफ से सैयद रिज़वान मुस्तफ़ा ने सभी का शुक्रिया अदा किया।