महिषासुर का वध नहीं, हत्या की गई राजद विधायक फतेह बहादुर…

रोहतास। बिहार में एक बार फिर से धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई है। इस बार रोहतास जिले के डेहरी से राजद विधायक फतेह बहादुर ने बुधवार की शाम मीडिया के सामने मां दुर्गे पर अभद्र टिप्पणी की और महिषासुर को नायक बताया। उन्होंने कहा कि महिषासुर का वध नहीं, हत्या की गई। थोड़ी देर बाद मां दुर्गे को काल्पनिक चरित्र बता दिया।

इधर, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने विधायक के बयान पर घोर आपत्ति जताई है और विरोध में उनके पुतला दहन का निर्णय किया है। विरोध बढ़ा, तो विधायक ने शाम सात बजे प्रेस वार्ता बुलाई है।

डेहरी के आरजेडी विधायक फते बहादूर सिंह के देवी दुर्गा पर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के वीडियो वायरल होने के बाद जमकर बवाल मचा हुआ है। गुरुवार देर शाम को लोकल व्हाट्सअप ग्रुप में इसका एक वायरल होने के बाद हिन्दूवादी संगठनों ने विरोध का ऐलान किया है।

डेहरी बाजार स्थित हनुमान मानस मंदिर से लेकर कपूर्री चौक तक बजरंग दल ने विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है।

दुर्गा एक मिथक: राजद विधायक
दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान विधायक फते बहादूर सिंह ने कहा कि वीडियो में पूरी बात सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि दुर्गा एक मिथक है और मनुवादी विचार के लोगों ने अपने विचारों से इसे दबाने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवादी लोग इसका विरोध कर रहे हैं और अंधविश्वास फैलाने और बहुजनों को बरगलाने का काम कर रहे हैं।

महिषासुर बहुजनों का नायक:फतेह बहादुर
राजद विधायक फतेह बहादुर ने कहा महिषासुर बहुजनों का नायक है। विधायक ने कहा कि यह कैसे संभव है कि किसी महिला के दस हाथ हो। विधायक ने दुर्गा के पति,माता पिता के बारे में पूछते हुए कहा कि जब जन्म औऱ मृत्यु का पता नहीं तो फिर यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है।

उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के लोगों को अंधविश्वास में झोंकने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वंचित समाज के लोगों ने शिक्षा और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि मनुवादी वेद को सत्य मानते हैं लेकिन बहुजन समाज के वेदव्यास को सम्मान नहीं देते। उन्होंने कहा कि दुर्गा के हाथ में औजार हथियार दिखाए गए जबकि उस समय ये प्रचलित नहीं था।

शहर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई
बजरंग दल के विरोध के ऐलान के बाद शहर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। तनाव न बढ़े इसके लिए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी लगातार गश्ती कर रहे हैं।

2011 में भी आया था विवाद
महिषासूर संबंधित विवाद सबसे पहले साल 2011 में सामने आया था। जेएनयू के एक छात्र संगठन ने महिषासूर दिवस मनाने का ऐलान किया। इस मामले में जेएनयू के एक छात्र अंबा शंकर बाजपेई के आवेदन पर फारवर्ड प्रेस नामक मैग्जीन के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी भी की थी।

छात्रों का आरोप था कि संबंधित मैग्जीन का संचालन एक ईसाई पादरी करता है। जिसका उद्देश्य समाज में वैमनस्व को बढ़ावा देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना है। बिहार के साहित्यकार और पूर्व एमएलसी प्रेम कुमार मणि ने इस पर एक लंबा आलेख संबंधित मैग्जीन में लिखा था। जिसपर पूरे देश में जमकर हंगामा हुआ था।

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