दबंग से परेशान महिला प्रधान ने डीएम से लगाई न्याय की गुहार

निर्माण कार्य में दबंग कर रहे बाधा उत्पन्न

महोली सीतापुर । जहां एक तरफ शासन द्वारा महिला आरक्षण निर्धारित किया गया और महिला सशक्तिकरण के लिए महिला जागरूकता अभियान चलाए जा रहे है। वही दूसरी तरफ दंबग महिला ग्राम मुखिया को सरकारी कार्य कराने मे बाधा उत्पन्न कर परेशान कर रहे है ,जिससे कार्य न हो सके पीड़ित महिला प्रधान ने जिलाधिकारी से पत्र देकर लगाई न्याय की गुहार । बताते चले कि, विकास खण्ड पिसावा की ग्राम पंचायत जिगनिया की महिला प्रधान
रेशु देवी पत्नी संगीत कुमार ने जिलाधिकारी को पत्र देकर अवगत कराया कि उसके गाँव के ही दबंग बाबूराम पांडे पुत्र गुलाब साहय पांडे निवासी जिगनिया द्वारा कराये जा रहे सरकारी निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न कर परेशान किया जा रहा है । पीड़ित महिला प्रधान ने पत्र के साथ कार्यवाही रजिस्टर की प्रति देकर अवगत कराया कि वह जारी आदेशानुसार स्वच्छ भारत मिशन योजना अंतर्गत ग्राम पंचायत में ठोस तरल अपशिष्ट निस्तारण केंद्र ( आर आर सेंटर )के निर्माण हेतु सर्व सहमति से भूमि गाटा संख्या 108/0.053हे0 पर निर्माण हेतु प्रस्ताव किया गया था। जिसमे 15*15 मी0 रकबा 0.022 हे0भूमि का प्रस्ताव 16 अक्टूबर 2023 को पारित हुआ । उक्त भूमि पर जब ठोस तरल अपशिष्ट निस्तारण केंद्र का निर्माण कार्य प्रारंभ किया तो बाबूराम पुत्र गुलाब सहाय जो कि महिला प्रधान से चुनावी रंजिश मानते है, अपने सहयोगियों के साथ कार्य स्थल पर बाधा उत्पन्न करने के उद्देश्य राजस्व कर्मचारियों को भूमि पैमाइश करने नहीं दे रहै है। महिला प्रधान द्वारा प्रकरण से उपजिलाधिकारी महोली को अवगत कराया गया लेकिन विपक्षी द्वारा राजनीतिक शक्ति का उपयोग करते हुए कार्यवाही को लंबित कर दिया गया ।
दबंग से पीड़ित महिला प्रधान ने बताया कि बाबूराम पर क्षेत्र के राजनीतिक लोगो का हाथ होने के कारण अक्सर परेशान किया जाता रहता है , महिला प्रधान द्वारा जिलाधिकारी से समस्या के निस्तारण हेतु न्याय गुहार लगाई गई है । अब सवाल यह उठता है कि जहाँ धौरहरा लोकसभा की महिला सांसद रेखा अरुण वर्मा जोकि भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत होने के साथ साथ उत्तराखंड प्रभारी भी है , क्षेत्र के विकास के लिए हर समय संघर्षरत रहती हो ,विकास खण्ड पिसावा जहां पर महिला खण्ड़ विकास अधिकारी डॉ0 प्रीति तिवारी है, ऐसे बहुत से पदों पर महिला अधिकारी व जनप्रतिनिधियों द्वारा देश में बराबर भागीदारी दी जा रही ,देश के प्रधानमंत्री द्वारा भी महिलाओं को आगे बढ़ाने में सहयोग दिया जा रहा है ,देश की महिला राष्ट्रपति का कुशल मार्गदर्शन महिलाओं को मिल रहा है । महिला सशक्तिकरण के तहत अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों द्वारा समय समय पर जागरूक किया जाता है ,वही ग्राम पंचायत की महिला मुखिया ही ग्राम के विकास के लिए दबंग से परेशान होकर दर दर भटक रही है । तो सामान्य महिलाओं की क्या स्थिति क्या ही सकती है । क्या राजनीतिक गलियारों में भी कथनी व करनी में अंतर होने लगा है ,क्या एक तरफ महिला को आगे बढ़ने की बात की जाती है ,और दूसरी तरफ दबंग को संरक्षण देकर मिल बैठने की बात की जाती है ,जोकि महिला ग्राम मुखिया का एक बड़ा सवाल है ?

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