देवरिया। बीपी और शुगर को लेकर लापरवाही न बरतें। इसका नियंत्रित होना बहुत जरूरी है। मेडिकल कॉलेज में इन रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। अगर किसी का शुगर ज्यादा है और बीपी भी बढ़ रहा है तो किडनी के खराब होने की आशंका अधिक होती है। ऐसे में इन रोगियों को खासकर जिनकी उम्र 40 से 50 के बीच है। उन्हें साल में दो बार अच्छी तरह से जांच करानी जरूरी होती है। साथ ही सावधानी बरतने की जरूरत है।
महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में भीड़ होती है। इसमें ब्लड प्रेशर और मधुमेह के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। हर रोज करीब 500 लोग पहुंचते हैं। इन मरीजों में 60 से अधिक मरीजों की उम्र 40 से 50 वर्ष के बीच होती है। डॉक्टरों के मुताबिक, बीपी, शुगर वाले मरीजों को साल में दो बार स्क्रीनिंग करानी चाहिए। इससे किडनी को बचाया जा सकता है। बहुत से लोग दर्द निवारक दवाओं का सेवन भी अत्यधिक करते हैं। इससे भी यह बीमारी बढ़ती है। किडनी की बीमारी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। यह शरीर का महत्वपूर्ण अंग होता है।
डॉ. सराजुददीन ने बताया कि बीपी से किडनी के खून की नलियों में मोटापन आ जाता है। शुगर के कारण प्रोटीन छनने लगता है। इससे दिक्कत होती है। शरीर में पानी की कमी से भी किडनी पर असर पड़ सकता है। इन दिनों बीपी और शुगर के मरीजों की संख्या बढ़ी है। इसकी वजह अनियमित जीवन शैली के साथ ही सही तरीके का खानपान न होना है। मरीजों को समय-समय पर जांच, दवा के साथ आहार पर भी ध्यान देना होगा।
डॉ. विजय गुप्ता ने बताया कि बीपी बढ़ने से किडनी पर लोड अधिक पड़ता है। इससे किडनी के सेल्स डैमेज होने लगते हैं। शुगर से किडनी में सूजन आने से साइज बढ़ जाती है। इससे इसके कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। कुछ लोगों में आनुवंशिक तो कुछ में वायरल इंफेक्शन के कारण बीमारी होती है। अनियंत्रित बीपी, शुगर की वजह से किडनी के मरीज बढ़े हैं। लोगों को खानपान और दिनचर्या ठीक रखनी चाहिए। ताकि वे बीमारी से बच सकें।
आयुर्वेद के चिकित्साधिकारी डॉ. सृजन राय ने बताया कि अनियंत्रित बीपी और शुगर से गुर्दे पर दुष्प्रभाव पड़ता है। बार-बार मूत्र विकार, पेशाब ज्यादा समय तक रोकने, पानी कम पीने आदि से भी किडनी पर असर पड़ता है। दर्द निवारक दवाओं का अधिक प्रयोग करना भी कारण है। आयुर्वेदिक पद्धति इस बीमारी के निदान में सहायक है।
ये बरतें सावधानी
- फास्ट और जंक फूड के सेवन से परहेज करें
- दर्द निरोधक व स्टेरायड दवा का कम प्रयोग करें
- पानी अधिक मात्रा में पीएं
- दिनचर्या नियमित रखें
- साल में दो बार अच्छी तरह जांच कराएं
- बीपी, शुगर की नियमित जांच कराएं, समय-समय पर कोलेस्ट्राल, किडनी, यूरीन की जांच भी कराते रहें
डायलिसिस कराने वालों में अधिकांश मधुमेह रोगी
देवरिया। मेडिकल कॉलेज के डायलिसिस सेंटर में वर्ष 2021 से अब तक 390 मरीजों का रजिस्ट्रेशन कर डायलिसिस की गई। इसमें करीब 60 प्रतिशत मधुमेह रोगी रहे। जबकि अस्पताल की ओपीडी में आने वाले करीब 500 मरीजों में आधे से अधिक की जांच में बीपी और शुगर अनियंत्रित मिलता है।