नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू की कौशल विकास घोटाला मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को मामले से जुड़े दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई नौ अक्टूबर को होगी।
इसके पहले 27 सितंबर को जस्टिस एसवीएन भट्टी ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। नायडू ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से एफआईआर निरस्त करने की मांग को खारिज करने को चुनौती दी है। चंद्रबाबू को 10 सितंबर को आंध्र प्रदेश सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद से वो हिरासत में हैं। इस मामले में नायडू 37वें आरोपी हैं। नायडू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग की थी। हाई कोर्ट ने 22 सितंबर को उनकी याचिका खारिज कर दी थी। नायडू की ओर से पेश वकील हरीश साल्वे और सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 17ए के मुताबिक एफआईआर दर्ज करने के पहले स्वीकृति जरूरी होती है।
हाई कोर्ट ने कहा था कि दस्तावेजों का फर्जीवाड़ा और पैसों की हेराफेरी आधिकारिक कार्य करना नहीं है, इसलिए धारा 17ए का संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। हाई कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर दर्ज करने के पहले आंध्र प्रदेश सीआईडी ने 140 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए थे और चार हजार से ज्यादा दस्तावेजों का परीक्षण किया था