लखनऊ। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में ग्रोथ की बड़ी संभावनाएं नजर आ रही हैं। एमएसएमई सेक्टर में तेजी से हो रहे सुधार के आधार पर नाबार्ड ने इस क्षेत्र विशेष के लिए प्रवाह तेज करने का सुझाव दिया है।
अपने स्टेट फोकस पेपर में एमएसएमई सेक्टर के ऋण प्रवाह में 175 प्रतिशत की वृद्धि का सुझाव देते हुए नाबार्ड ने इसे 2.91 लाख करोड़ रुपये तक ले जाने की बात कही है। जबकि चालू वित्तीय वर्ष के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपये के ऋण संभाव्यता का आकलन किया गया था।
अनुमानों के मुकाबले 52 प्रतिशत की वृद्धि
नाबार्ड ने अपने स्टेट फोकस पेपर (वर्ष 2024-25) में प्राथमिकता क्षेत्र के विभिन्न घटकों (कृषि, एमएसएमई, शिक्षा, आवास, निर्यात, नवीकरणीय ऊर्जा) के लिए 5.73 लाख करोड़ रुपये की ऋण संभाव्यता का आकलन किया है, जो कि चालू वित्तीय वर्ष (2023-24) के अनुमानों के मुकाबले 52 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
वहीं, एमएसएमई सेक्टर जो सकल घरेलू उत्पाद, रोजगार और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है, की अनुमानित ऋण क्षमता में सर्वाधिक 175.82 प्रतिशत की वृद्धि का सुझाव दिया है। यह 2.91 लाख करोड़ रुपये से अधिक आकलित की गई है, जबकि चालू वित्तीय वर्ष के लिए इसे 1.05 लाख करोड़ रुपये के दायरे में रखा गया था।
एमएसएमई उद्योग में यूपी पहले स्थान पर
नाबार्ड ने अपने स्टेट फोकस पेपर में कहा है कि भारत में मौजूद एमएसएमई उद्योगों की संख्या में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है। एमएसएमई, खादी एवं ग्रामोद्योग, हस्तकला, चमड़ा और कृषि आधारित उद्योग प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार प्रदान करते हैं। यूपी में हथकरघा उद्योग ही देश के कुल कपड़े का लगभग 15 प्रतिशत का उत्पादन करता है।