लखीमपुर खीरी। ऑनलाइन प्रक्रिया के जितने दावे किए जाएं लेकिन, स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाने में दलालों का दखल कम नहीं हुआ है। एआरटीओ कार्यालय परिसर और गेट के पास घूमते दलाल 4500 से 5000 रुपये में स्थायी डीएल बनवाने का ठेका ले रहे हैं। लर्निंग लाइसेंस का आवेदन और टेस्ट पास कराने की जिम्मेदारी भी उनकी है।
स्थायी लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदक को कार्यालय आना होता है। लर्निंग लाइसेंस एक घंटे में देने का दावा किया जाता है। बाकायदा इसके लिए सुविधा शुल्क भी लिया जाता है। आवेदक भी जब कई बार चक्कर लगाकर परेशान हो जाता है तो इनके ही झांसे में आता है। सुविधा शुल्क से लाइसेंस बनवाने का ठेका लेने वाले यह लोग पूरे दिन एआरटीओ कार्यालय में घूमते रहते हैं।
कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में इनकी आवाजाही देखी जा सकती है। वैसे तो बिना दलाल के एआरटीओ दफ्तर में कोई काम नहीं होता। पर हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जान समझ और देखकर भी जिम्मेदार अफसर अनजान बने हुए हैं। दलालों के जरिये खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है। वहीं दलालों का कहना है कि जो पैसा वह ले रहे हैं, इसमें आधे से ज्यादा पैसा अधिकारियों के ऊपर ही खर्च होता है। यहीं कारण है कि अफसर भी दलालों पर सख्ती नहीं बरतते। परिवहन विभाग के दफ्तर के बाहर दर्जनों दलालों की दुकानें इस बात की पुष्टि करती हैं।
1200 पहले दो, 3800 रुपये बाद में पड़ेंगे
मंगलवार की दोपहर 12 बजे एआरटीओ कार्यालय परिसर में ड्राइविंग टेस्ट के लिए कुछ आवेदक खड़े थे। पास में ही दलाल भी थे। एक दलाल ने कार्यालय से बाहर ले जाकर कहा कि लर्निंग लाइसेंस के 1200 रुपये देने पड़ेंगे। स्थायी लाइसेंस के लिए एक माह बाद 3800 रुपये देने होंगे। दूसरे दलाल ने लर्निंग से लेकर स्थायी लाइसेंस के 4500 रुपये बताए। थोड़ी देर बाद कार्यालय की पार्किंग परिसर में मौजूद दूसरे दलाल ने 4700 रुपये में लाइसेंस बनवाने की बात कही।
याद रखना पक्की दुकान का कोड वर्ड
सुविधा शुल्क लेकर लाइसेंस बनवाने वालों ने पक्की दुकान का कोड वर्ड बना रखा है। आवेदक को रोकते हैं, पूरा प्लान बताते हैं। दूसरी जगह पूछने पर कहते हैं कि पक्की दुकान पर जाकर पूछना। कच्ची दुकान वाले सही काम नहीं कराते हैं। रुपया चला जाएगा।
सीज टाटा मैजिक और टेपों बना लेनदेन कार्यालय
पार्किंग परिसर के कोने में सीज खड़ी एक टाटा मैजिक के अंदर दो लोग बैठे थे। बाहर से हाथ में आरसी और कागजों की फाइल लेकर आए लोग मैजिक में बैठे व्यक्ति से बात करते और कागज देकर चले जाते। पूछने पर बताया गया कि वाहन ट्रांसफर के लेनदेन की बात यहीं होती है। उसी के आगे एक टेंपो में भी एक व्यक्ति बैठा था। फाइलें यहां भी जमा की जा रही थीं।
यह है सरकारी फीस और सुविधा शुल्क
लर्निंग लाइसेंस की 350 रुपये हैं। बाहर खड़े लोग इसके लिए 1200 रुपये लेते हैं। स्थायी लाइसेंस में 1000 रुपये फीस पड़ती है। दलाल 3800 से चार हजार रुपये मांगते हैं। बाइक ट्रांसफर की फीस भी 150 रुपये है। दलाल 1500 रुपये मांगते हैं।
लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन
एआरटीओ आलोक कुमार ने बताया कि लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है। आवेदक को कार्यालय आने की जरूरत ही नहीं। फोन या किसी साइबर कैफे से आवेदन कर फीस जमा कर दें। टेस्ट के बाद लाइसेंस बन जाएगा। परिसर में घूम रहे लोगों की जांच कराएंगे। सीज वाहनों में बैठ रहे लोगों का पता कराकर कार्रवाई की जाएगी।