कोलकाता: चक्रवात रेमाल के आज शाम बांग्लादेश की खाड़ी के इलाकों में पहुंचने की आशंका है. इस दौरान 135 किमी/घंटे तक की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं, जिससे इलाके की बुनियादी सेवाओं के प्रभावित होने का डर है.कोलकाता एयरपोर्ट को रविवार मध्य रात्रि से 21 घंटे के लिए बंद रखा जाएगा.
इस बात की जानकारी कोलकाता एयरपोर्ट प्रशासन की ओर से दी गई है. ऐसा बंगाल की खाड़ी में एक गंभीर चक्रवात रेमाल के बनने की वजह से किया गया है. भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक इस चक्रवात के रविवार की मध्य रात्रि को बांग्लादेश और भारत में पश्चिम बंगाल राज्य के तटीय इलाकों से गुजरने की आशंका है. मौसम विभाग के मुताबिक इस दौरान प्रभावित इलाकों में 120 किमी/घंटे की गति से हवाएं चल सकती हैं.
जबकि पश्चिम बंगाल के सागर द्वीप और बांग्लादेश के खेपूपारा इलाके में हवा के झोंकों की रफ्तार 135 किमी/घंटे तक भी जा सकती है. मौसम विभाग के अनुसार ऐसे तूफान से पेड़ उखड़ सकते हैं और पुराने घरों को नुकसान हो सकता है. ये बिजली, फोन और इंटरनेट के तारों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. एशियाई हाथी अपने बच्चों को रो-रोकर दफनाते हैं चक्रवात की जद में रोहिंग्या शरणार्थियों का द्वीप भी बांग्लादेश में स्थानीय समय शाम के 6 बजे ही चक्रवात के पहुंच जाने की आशंका है. यहां भी तटीय इलाके के लाखों लोग अपने घर छोड़कर देश के अंदरूनी इलाकों में चले गए हैं. प्रशासन ने सर्वाधिक खतरे की चेतावनी जारी कर दी है. मछुआरों को भी समुद्र को पूरी तरह से छोड़ देने के लिए कहा गया है.
प्रशासन ने हजारों वॉलंटियरों को इलाका खाली कराने और लोगों को चेतावनी देने के काम पर लगाया है. बांग्लादेश का भाषण चार द्वीप भी चक्रवात का शिकार बनेगा. इस द्वीप पर 36 हजार रोहिंग्या शरणार्थी रहते हैं. उप शरणार्थी कमिश्नर मोहम्मद रफीकुल हक ने बताया कि चक्रवात से बचाव के लिए यहां भी 57 चक्रवात शिविर बनाए गए हैं. देश के तीनों बंदरगाहों चटगांव, मोंगला और पायरा को बंद कर दिया गया है. इसके अलावा चटगांव एयरपोर्ट से भी फ्लाइटें नहीं उड़ रही हैं. जलवायु परिवर्तन के चलते साल में आ रहे तीन चक्रवात बांग्लादेश मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी मुहम्मद अबुल करीम मलिक ने बताया कि चक्रवात के चलते 12 फीट ऊंचा ज्वार भी समुद्र में उठ सकता है, जो खतरनाक हो सकता है.
उन्होंने बताया कि तटीय इलाकों में 4000 शरणार्थी आवास भी बनाए गए हैं, जिनमें लोग शरण ले सकते हैं. पालतू पशुओं को भी इलाके से निकालने का प्रबंध किया जा रहा है. बंगाल की खाड़ी के इलाके में अक्सर ऐसे चक्रवात आते रहते हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते उनकी तीव्रता बढ़ी है. पिछले दशक में चक्रवातों के चलते बांग्लादेश में हजारों लोगों की मौत हुई है.