कोविड से भी अधिक खतरनाक कोई पैंडमिक है, तो वो है सिटिंग पैंडेमिक। इसने काम करने वाली आधी से ज्यादा जनता को अपने चपेट में लिया है। क्या आप जानते हैं आखिर क्या है सिटिंग पैंडेमिक?
सिटिंग पैंडेमिक का क्या मतलब है?
जब आप 8 घंटे या उससे अधिक समय के लिए एक ही पोश्चर में बैठे रहते हैं, तो आप खुद के लिए कई तरह की बीमारियों को बुलावा देते हैं। आपका काम आपको कहता है कि 8 घंटे नौकरी करो लेकिन आपका शरीर ऐसी प्रताड़ना के लिए तैयार नहीं होता है।
फिर भी 8 घंटे की नौकरी करनी है, तो इस गतिविधि में बहुत अधिक बदलाव नहीं किया जा सकता है। लेकिन फिर भी इन प्रभावों को रोकने के लिए आप कुछ कदम उठा सकते हैं जैसे :
वॉक करें: बीच बीच में उठ कर कुछ कदम वॉक करते रहें। हर एक घंटे में कम से कम 5 मिनट वॉक करें। ऐसा करने से आप अपने ब्लड प्रेशर और शुगर दोनों को नियंत्रित कर सकते हैं।
ढंग से बैठें: पेट निकाल कर, गर्दन लगातार झुका कर या पैर पे पैर चढ़ा कर बैठने से कई गुना समस्या बढ़ सकती है। बैठने का तरीका सही रखें। पीठ को सीधा कर के बैठें और दोनों पैर जमीन पर रख कर बैठें। जब इस पॉश्चर से थक जाएं तो थोड़ा उठ कर चल लें। लेकिन गलत तरीके से न बैठें।
स्ट्रेच करें: कुछ-कुछ देर में अपनी गर्दन, उंगली, हाथ और पीठ को स्ट्रेच करते रहें, जिससे मांसपेशियां लचीली बनी रहती हैं और जाम नहीं होतीं और फिर शरीर में कहीं सनसनाहट या झुनझुनी नहीं होती है।
आंखें बंद कर के आराम करें: हर एक घंटे पर कुछ सेकंड या मिनट के लिए आंखें बंद करके अपनी आंखों को और दिमाग को आराम दें। इससे मानसिक शांति भी मिलती है और दिमाग दुबारा एकाग्र होने के लिए तैयार होता है। साथ ही लगातार चौकन्ना हो कर देखने से थकी हुई आंखों को भी आराम मिलता है।
व्यायाम करें: प्रतिदिन नियम से किसी विशेषज्ञ के निर्देश के अनुसार कुछ ऐसे व्यायाम चुनें जिससे बैठने के कारण शुरू हुई सभी समस्याओं को बिना दवा के ठीक किया जा सके। उद्देश्य ये होना चाहिए कि समस्या ही उत्पन्न न हो।
ध्यान नहीं देने पर क्या होगा?
अगर समय रहते ध्यान न दिया गया तो लगातार बैठे रहने से आप शारीरिक, मानसिक और भौतिक तीनों रूप से कमजोर होते हैं। क्योंकि एक ही पॉश्चर में बैठने से शरीर को मिले नुकसान की चर्चा तो हम कर चुके हैं लेकिन यह भी जानना जरूरी है कि यह हमारी उत्पादन क्षमता को कम करता है, हम एकाग्र होकर काम नहीं कर पाते, थकान महसूस करते हैं और अपने काम का सौ फीसदी नहीं दे पाते। जिससे जिस संस्थान के लिए हम काम कर रहे हैं उसके साथ भी हम नाइंसाफी करते हैं। इसलिए उचित कदम उठाते हुए अपने काम को बैठ कर करें जिससे अन्य छोटे बड़े रोग आप से दूर रहें।