जानिाए राजनीतिक पार्टी बनाने के क्या हैं नियम

नई दिल्‍ली। हाल ही में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जन सुराज को सियासी दल बनाने की घोषणा की है। ऐसे में अगर आपके मन भी सवाल आ रहा है कि कौन राजनीतिक दल बनाकर चुनाव लड़ सकता है तो हम आपको बता दें कि भारत में हर व्यक्ति को राजनीतिक दल बनाने और चुनाव लड़ने का अधिकार है। फिलहाल देश में करीब 3,000 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल हैं। इनमें से ज्यादातर चुनाव नहीं लड़ते।

चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि आम चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के पंजीकरण की संख्या बढ़ जाती है। इसकी वजह यह है कि राजनीतिक दलों के पंजीकरण की प्रक्रिया आसान है। अब आप सोच रहे होंगे कि राजनीतिक पार्टी के पंजीकरण की प्रक्रिया क्‍या है?

आइये जानते हैं कि भारत में कोई व्यक्ति राजनीतिक दल कैसे बना सकता है और राजनीतिक दलों को क्या सुविधाएं मिलती हैं…

कैसे होता है राजनीतिक दल का गठन?
भारत में राजनीतिक दल के गठन के लिए लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 में नियम तय किए गए हैं। अगर आप राजनीतिक दल बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले चुनाव आयोग के पास पंजीकरण कराना होगा। चुनाव आयोग राजनीतिक दल बनाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म जारी करता है। दल बनाने के लिए इच्छुक व्यक्ति को ये फार्म भर कर, इसका प्रिंट आउट लेकर जरूरी दस्तावेजों के साथ 30 दिन के अंदर चुनाव आयोग को भेजना होगा। साथ ही 10 हजार रुपये शुल्क जमा करना होगा।

पहले ही तैयार करना होता है पार्टी का संविधान
राजनीतिक दल की पंजीकरण प्रक्रिया शुरू करने से पहले पार्टी का संविधान तैयार करना जरूरी होता है। इसमें इस बात का उल्लेख होना चाहिए कि राजनीतिक दल का नाम और काम करने का तरीका क्या होगा? साथ ही संविधान में यह भी तय करना होगा कि पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कैसे होगा? इसके अलावा पार्टी के उन लोगों की पूरी जानकारी भी देनी होगी, जो पार्टी में प्रमुख पद संभालेंगे। पार्टी के संविधान की प्रति पर इन सभी लोगों के हस्ताक्षर भी करवाने होंगे। दस्तावेजों में पार्टी के बैंक अकाउंट का ब्यौरा भी देना होगा।

कैसे तय होता है राजनीतिक दल का नाम?
राजनीतिक दल का नाम आपको खुद ही तय करना होगा। हालांकि, आपकी ओर से सुझाए गए नाम को मंजूरी देना या नहीं देना पूरी तरह से चुनाव आयोग पर निर्भर करेगा। नाम को अंतिम रूप देने से पहले चुनाव आयोग देखता है कि नाम पहले से ही किसी दूसरी पार्टी को तो नहीं दिया जा चुका है। चुनाव आयोग नए राजनीतिक दल के लिए अपनी तरफ से भी आपको दूसरे नाम का सुझाव दे सकता है। आयोग आपसे भी पार्टी के लिए कोई दूसरा नाम मांग सकता है।

पंजीकृत राजनीतिक दल को मिलने वाली सुविधाएं
चुनाव आयोग के पास पंजीकृत राजनीतिक दल को चुनाव चिन्ह के आवंटन में वरीयता मिलती है। इसके अलावा पंजीकृत राजनीतिक दल को आगे चल कर राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है। हालांकि इसके लिए राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करना होता है।

पंजीकृत राजनीतिक दल चंदा ले सकते हैं और इस पर उनको कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है। पंजीकृत राजनीतिक दल को भी चंदा देने वाले व्यक्ति को चंदे की रकम पर 100 प्रतिशत टैक्स छूट मिलती है। इसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी राजनीतिक दल को एक करोड़ रुपये चंदा दिया है तो यह रकम उसकी टैक्स योग्य आय से घट जाएगी। यानी इस रकम पर उसे इनकम टैक्स नहीं देना होगा।

राजनीतिक दल कैसे कर रहे इन सुविधाओं का दुरुपयोग
मौजूदा नियमों के तहत एक बार पंजीकृत हो जाने के बाद राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द नहीं किया जा सकता है। ऐसे में हजारों की संख्या में ऐसे राजनीतिक दल हैं, जो चुनाव नहीं लड़ते हैं, लेकिन उनका पंजीकरण बना रहता है। ऐसे निष्क्रिय राजनीतिक दल चंदा लेते रहते हैं क्योंकि उनको इस चंदे पर कोई इनकम टैक्स नहीं देना होता है।

इसके अलावा राजनीतिक दलों को चंदे की रकम 20,000 रुपये से कम होने पर इसका स्रोत नहीं बताना होता है। बहुत से निष्क्रिय राजनीतिक दल इस नियम का फायदा उठा कर चंदे की रकम का स्रोत बताने से बच जाते हैं। ऐसे आरोप भी लगते रहे हैं कि निष्क्रिय राजनीतिक दलों का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग में भी किया जा रहा है।

निष्क्रिय राजनीतिक दलों को डी लिस्ट कर रहा है चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने लंबे समय से चुनाव न लड़ने वाले और नियमों का पालन न करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कदम उठाने का एक तरीका निकाला है। चुनाव आयोग पिछले कुछ वर्षों से ऐसे राजनीतिक दलों को डी लिस्ट कर रहा है।

भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि चुनाव आयोग के पास राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की शक्तियां नहीं है,लेकिन अगर राजनीतिक दल लंबे समय तक निष्क्रिय है तो आयोग उसे डी लिस्ट कर सकता है। आयोग पिछले कुछ वर्षों अभियान चला कर निष्क्रिय दलों को डी लिस्ट कर रहा है। डी लिस्ट किए गए राजनीतिक दल चुनाव नहीं लड़ सकते हैं और वे इनकम टैक्स छूट के लिए भी पात्र नहीं रह जाते हैं।

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