माफिया मुख्तार अंसारी के मौत के साथ खत्म हुआ उनका खौफ, यहां जानिए उनका सफर…

मऊ। मुख्तार अंसारी की मौत के साथ उसके खौफ का भी खात्मा हो चुका है। हालांकि, 90 के दशक में उससे अफसर से लेकर नेता तक डरते थे। कोई मुख्तार के जिले में पोस्टिंग के लिए तैयार नहीं होता था। दबंगई ऐसी थी कि मछली खाने के लिए जेल में तालाब खुदवा दिया था।

माफिया का सफर
जन्म : 30 जून 1963
जन्म स्थान : युसुफपुर मुहम्मदाबाद
पिता : सुभानउल्लाह अंसारी
माता : बेगम राबिया पत्नी : अफ्शा अंसारी
बच्चे : 1. अब्बास अंसारी, 2. उमर अंसारी
बड़े भाई : सिबगतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी
1988 में मुख्तार का नाम क्राइम की दुनिया में पहली बार आया। मंडी परिषद की ठेकेदारी को लेकर ठेकेदार सच्चिदानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार का नाम सामने आया। इसी दौरान त्रिभुवन सिंह के कांस्टेबल भाई राजेंद्र सिंह की बनारस में हत्या कर दी गई। इसमें भी मुख्तार का ही नाम सामने आया।

माफिया ब्रजेश सिंह से दुश्मनी
1990 में गाजीपुर जिले के तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा शुरू कर दिया। अपने काम को बनाए रखने के लिए मुख्तार अंसारी के गिरोह से उनका सामना हुआ। यहीं से ब्रजेश सिंह के साथ इनकी दुश्मनी शुरू हो गई।
1991 में चंदौली में मुख्तार पुलिस की पकड़ में आया। आरोप है कि रास्ते में दो पुलिस वालों को गोली मारकर वह फरार हो गया।
1996 में एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमले में उनका नाम एक बार फिर सुर्खियों में आया।
1996 में मुख्तार पहली बार एमएलए बना। उन्होंने ब्रजेश सिंह की सत्ता को हिलाना शुरू कर दिया।
1997 में पूर्वांचल के सबसे बड़े कोयला व्यवसायी रुंगटा के अपहरण के बाद उनका नाम क्राइम की दुनिया में देश में छा गया।
2001 में ब्रजेश सिंह ने मुख्तार के काफिले पर हमला कराया। इसमें मुख्तार के तीन लोग मारे गए। ब्रजेश सिंह घायल हो गए।

2005 से हैं जेल में बंद
अक्टूबर 2005 में मऊ जिले में भड़की हिंसा के बाद उस पर कई आरोप लगे, हालांकि सभी खारिज हो गए।
इस बीच गाजीपुर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, तभी से वह जेल में बंद हैं।
कृष्णानंद राय से मुख्तार के भाई अफजल अंसारी चुनाव हार गए। मुख्तार पर आरोप है कि उसने शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी और अतिकुर्रहमान उर्फ बाबू की मदद से 5 साथियों सहित कृष्णानंद राय की हत्या करवा दी।
2010 में अंसारी पर राम सिंह मौर्य की हत्या का आरोप लगा। एक स्थानीय ठेकेदार की हत्या का गवाह था।

कृष्णानंद राय हत्याकांड
साल 2005 में मुख्तार अंसारी जेल में बंद था। इसी दौरान बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय सहित सात लोगों की हत्या कर दी गई।
हमलावरों ने 6 एके-47 राइफलों से 500 से ज्यादा गोलियां चलाई थी। मारे गए लोगों के शरीर से 67 गोलियां बरामद की गई थी।
इस हमले का एक महत्वपूर्ण गवाह शशिकांत राय 2006 में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था।
2012 में महाराष्ट्र सरकार ने मुख्तार पर मकोका लगाया। उनके खिलाफ हत्या, अपहरण, फिरौती जैसे कई आपराधिक मामले दर्ज हैं।

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