पटना। उच्च शिक्षा में बिहार का सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 30 प्रतिशत करने का नीतीश सरकार का लक्ष्य है। इसके लिए केके पाठक (KK Pathak) का शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक विश्वविद्यालय को ध्यान में रखकर कार्ययोजना बनाई जा रही है। अभी प्रदेश में उच्च शिक्षा का जीईआर लगभग 21 प्रतिशत है।
वैसे शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में प्रदेश का जीईआर 19 प्रतिशत बताया गया है। इसके आधार पर बिहार को देश के शीर्ष सात राज्यों में जगह मिली है। राज्य सरकार अपने बूते युवाओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की तैयारी में है। इसलिए आगामी बजट में उच्च शिक्षा को लेकर कई योजनाओं को सम्मिलित करने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
शिक्षा विभाग ने सकल नामांकन अनुपात में बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा
केके पाठक के शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार हेतु आगामी बजट को ध्यान में रखते हुए सकल नामांकन अनुपात में बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा है। इसके लिए प्रदेश के पिछड़े इलाकों में उच्च शिक्षा एवं रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने पर ज्यादा फोकस किया है।
ऐसे जिलों को चिन्हित किया गया है और उच्च शिक्षा में नामांकन और पढ़ाई करी व्यवस्था के लिए राजकीय डिग्री कालेज खोले जा रहे हैं। निजी उच्च शिक्षण संस्थानों और निजी निवेशकों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए निजी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए तमाम सुविधाएं देने का प्रविधान किया गया है।
हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान खोलने का लक्ष्य
यह भी प्रयास है कि हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान हों और विद्यार्थियों को रोजगार के विकल्प भी बढ़े शिक्षा विभाग ने निजी विश्वविद्यालयों समेत अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को सकल नामांकन अनुपात बढ़ाने का निर्देश भी दिया है।
शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक पहले औद्योगिक नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निवेशकों को आकर्षित करने की व्यवस्था होती थी, लेकिन अब इसे अलग से तैयार किया जा रहा है। सरकार की प्राथमिकता प्रदेश में युवाओं को बेहतर उच्च शिक्षा एवं रोजगार देने के लिए निजी क्षेत्र को बढ़ावा देने की तैयारी है।