पटना। राज्य के सभी 270 अंगीभूत कालेजों पर नकेल कसने की तैयारी हो रही है। हर साल विकास कार्यों के नाम पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये लेने वाले अंगीभूत कॉलेजों से उनके कामकाज का हिसाब लिया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। जांच टीम का हिस्सा शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव 10 नवंबर से कॉलेजों की स्थिति का जायजा लेने की खुद समीक्षा करेंगे।
कॉलेज खुद बताएंगे अपनी स्थिति
समीक्षा में हर कॉलेज अपने पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपनी स्थिति खुद बताएगा। जिन अधिकारियों द्वारा कालेजों के पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन लिए जाएंगे।
उनमें शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव के अलावा विशेष सचिव सतीशचंद्र झा एवं उच्च शिक्षा निदेशक रेखा कुमारी शामिल हैं।
शिक्षा विभाग के अधीन संचालित उच्च शिक्षा निदेशालय और बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद ने अंगीभूत कॉलेजों की जांच के आधार पर रैंकिंग फ्रेमवर्क तैयार करेगा।
साथ ही अनुदान राशि का कहां-कहां सही उपयोग हुआ, इसके लिए भी कॉलेजों के विकास कार्यों का आकलन किया जाएगा।
शिक्षा सचिव बैद्यनाथ यादव का कहना है कि उच्च शिक्षा के कार्य प्रणाली में सुधार की पहचान के लिए रैकिंग अनिवार्य है। इसकी कसौटी पर जो संस्थान खरे नहीं उतरेंगे, उनके अनुदान में कटौती होगी।
कॉमन डेटाबेस होगा तैयार
एक बार सभी अंगीभूत कॉलेजों का आंतरिक मूल्यांकन हो गया तो सरकार सभी संस्थानों के लिए स्टेट लेवल पर कॉमन डेटाबेस तैयार कराएगी।
इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशालय में एक एकीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (यूनिफाइड-एमआईएस) स्थापित किया जाएगा। इस पर शिक्षा विभाग ने कार्य प्रारंभ भी कर दिया है।
संस्थानों की गतिविधि पर रहेगी नजर
इस प्रणाली से उच्च शिक्षण संस्थानों में छात्र-छात्राओं के नामांकन, शिक्षक, कर्मचारी, एकेडमिक कैलेंडर, शिक्षण कार्य, परीक्षाफल, वित्तीय आदि की अद्यतन स्थिति का तुरंत पता लग सकेगा।
उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात से संबंधित कार्यों के लिए नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी को जवाबदेही दी जाने की तैयारी है। इसके लिए इस संस्थान को आधुनिकीकरण होगा।