बिहार में एक बार फिर पकड़ौआ शादी का मामला सामने आया है. इस बार बीपीएससी की परीक्षा पास कर हाल ही में शिक्षक बने एक युवक को कुछ लोगों ने किडनैप कर लिया और गन प्वाइंट पर उसकी जबरन शादी करा दी. टीचर को स्कूल से ही अगवा कर लिया गया गया था. बिहार में पकड़ौआ विवाह के लिए बीते कुछ सालों में किडनैपिंग के मामले लगातार बढ़े हैं.
बीपीएससी टीचर की जबरन शादी के मामले को लेकर जब पटना के कुछ युवाओं से बात की गई तो उनका कहना था कि इस तरह के मामले ठीक नहीं हैं. ऐसे मामले सामने आने के बाद से युवाओं के परिजन भी चिंतित हैं. आशीष और रिषभ ने कहा कि हम लोग अभी बेरोजगार हैं. इसलिए हमारी अभी शादी नहीं हुई है. अगर हमारी भी सरकारी नौकरी लग गई होती तो हमें भी कोई उठा ले जाता और शादी कर देता.
एक अन्य युवा ने कहा कि हमारी नौकरी नहीं लगी तो अब तक हम कुंवारे हैं. अब हमें भी लग रहा है कि सरकारी नौकरी की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, तभी कोई हमारी शादी कराएगा. पटना में ऐसे ही कुछ और युवाओं से जब बात की तो उन्होंने पकड़ौआ विवाह के बहाने बेरोजगारी को लेकर तंज कसा और कहा कि सरकारी नौकरी होती तो हमारी भी शादी की तमन्ना पूरी हो चुकी होती
दरअसल, बिहार में पकड़ौआ विवाह का इतिहास साल 1980 के दशक के बाद से शुरू हुआ था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 80 के दशक के बाद बिहार के बेगूसराय जिले में पकड़ौआ विवाह का चलन सबसे अधिक था. दरअसल, बेगूसराय भूमिहार बहुल इलाका है. भूमिहार समाज में दहेज का चलन ज्यादा है. पकड़ौआ विवाह में शादी के लायक लड़के का अपहरण कर लिया जाता है, और डरा-धमकाकर जबरन उसकी शादी करवा दी जाती है
पकड़ौआ विवाह के लिए हर साल यूं बढ़े अपहरण के केस
पकड़ौआ विवाह अवैध है, लेकिन ये प्रथा बिहार में दशकों से चली आ रही है. आंकड़े बताते हैं कि पकड़ौआ विवाह के मामले कम होने की बजाय बढ़े ही हैं. आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में शादी के लिए तीन हजार से ज्यादा लड़कों को अगवा किया गया था. इसके बाद साल 2016 में 3 हजार 75, साल 2017 में 3 हजार 405, साल 2018 में 4 हजार 317, साल 2019 में 4 हजार 498 और साल 2020 में 2 हजार 695 लड़कों का अपहरण किया गया था.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में देशभर में 18 से 30 साल के 3,507 युवकों का अपहरण किया गया था. इनमें से 597 अकेले बिहार के थे. इसी तरह से साल 2021 में ही सिर्फ बिहार से पकड़ौआ विवाह के लिए करीब 450 लड़कों का अपहरण किया गया था.
लड़कों का किडनैप कर ऐसे करवाई जाती है शादी
पकड़ौआ विवाह के लिए लड़के को किडनैप करने के बाद लड़की के घर ले जाया जाता है. वहां उसे कढ़ाईदार टोपी पहनाई जाती है, जिसे ‘मौरी’ कहते हैं. ये टोपी असल में स्वीकृति का प्रतीक होती है. अगर दूल्हे ने मौरी पहन ली तो इसे उसकी सहमति माना जाता है. ज्यादातर मामलों में दूल्हे को जबरन मौरी पहनाई जाती है. ऐसी शादियों की वीडियो रिकॉर्डिंग भी करा लेते हैं, ताकि सबूत के तौर पर रख सकें. ऐसी शादियों में मंदिर के पुजारी भी लड़की के परिजनों का साथ देते हैं. शादी के बाद वो मैरिज सर्टिफिकेट भी दे देते हैं.
दहेज का विरोध करने के नाम पर शुरू हुआ इस तरह का अपराध
पकड़ौआ विवाह के समर्थन में तर्क दिया जाता है कि ये शादी दहेज के खिलाफ की जाती है. भले ही ये गैरकानूनी है, लेकिन दहेज का विरोध करने वालों ने ये तरीका अपनाया. बिहार में पकड़ौआ विवाह के लिए गांव में लोग बाकायदा लड़कों के अपहरण की सुपारी दे देते हैं. इसका उदाहरण लालबाबू हैं.
मई 2009 में गया जिले में एक कोचिंग सेंटर के बाहर अपराधियों ने गोलीबारी कर दी थी. यह गोलीबारी 16 साल के लालबालू को किडनैप करने के लिए की गई थी. जब लालबाबू को किडनैप कर लिया तो अपराधी उसे एक जहानाबाद जिले के एक मंदिर में ले गए, वहां गन प्वाइंट पर उसकी 13 साल की बच्ची से शादी करवा दी गई. हालांकि, पुलिस ने बच्ची के पिता और भाई पर मर्डर का केस दर्ज कर लिया और शादी टूट गई.
पढ़े लिखे नौकरीपेशा लड़के बनते हैं पकड़ौआ विवाह के शिकार?
पकड़ौआ विवाह के लिए आमतौर पर पढ़े-लिखे और नौकरीपेशा लड़के शिकार बनते हैं, फिर चाहे वो किसी भी विभाग में हों. बिहार के रवि कांत का मामला भी कुछ ऐसा ही है. रवि कांत भारतीय सेना में कॉन्स्टेबल हैं. कुछ साल पहले अपराधियों ने आईपीएस अफसर शिवदीप लांडे के बॉडीगार्ड को अगवा कर लिया था, लेकिन बाद में जब उन्हें लगा कि इससे वो मुसीबत में पड़ सकते हैं तो बॉडीगार्ड को छोड़ दिया था