राजा परीक्षित की जन्मकथा सुन भाव विभोर हुए श्रोता

भादर अमेठी‌। विकासखंड की ग्राम सभा बहादुरपुर में यजमान श्रीमती सुशीला देवी तथा बलराम पाण्डेय के द्वार पर सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा सोमवार से प्रारंभ हो गई है।
श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा में पूज्य आचार्य गार्ग जी महाराज ने परीक्षित की जन्म कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि जब राजा परीक्षित माता के गर्भ में थे, उसी समय अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग परीक्षित की मां उत्तरा के गर्भ पर किया।

उन्होंने बताया कि उत्तरा ने भगवान श्री कृष्ण को पुकारा। भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा के गर्भ की स्वयं रक्षा की। जब परीक्षित पैदा हुआ, उसी समय वह उठकर बैठ गया। जो भी नवजात परीक्षित को उठाकर अपनी गोद में बैठाने का प्रयास करता, वह उदास होकर बैठ जाता। लेकिन जैसे ही श्री कृष्ण ने नवजात परीक्षित को अपनी गोद में उठाया, तो वह जोर जोर से हंसने लगा। विद्वानों ने नवजात शिशु का नाम परीक्षित रखा क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं ही इस बच्चे की मां के गर्भ में रक्षा की थी। राजा बनने पर परीक्षित ने कलयुग को दंड देने का प्रसंग सुनाते हुए श्री पूज्य गार्ग जी महाराज ने कहा कि कलयुग राजा परीक्षित के शरणागति हो गया है इसलिए उसे क्षमा कर दीजिए। कलयुग ने अपने रहने के स्थान को मांगा तो राजा ने चार स्थान दिए। पहला स्थान जुआ क्रीड़ा, दूसरा शराब खाना, तीसरा वैश्य स्थल दिए। तीनों स्थानों के बारे में सुनकर कलयुग ने राजा परीक्षित से कोई अच्छा स्थान प्रदान करने को कहा। इस पर राजा द्वारा भूल से उनके मुख से चौथे स्थान का नाम सोना निकल गया।

कुछ समय पश्चात राजा ने अपने पूर्वजों के मुकुटों को देखना चाहा तो एक मुकुट बहुत सुंदर था जिसको धर्मराज युधिष्ठिर ने छिपा कर रखा था। यह मुकुट जरासंध का था जिसको भीम ने छीन कर लाया था। राजा ने जैसे की उस सोने के मुकुट को पहना, कलयुग उसकी बुद्धि पर सवार हो गया। राजा जंगल में शिकार को खेलते हुए जंगल में स्थित शमीक ऋषि के आश्रम पहुंचा और अपना स्वागत करवाने को कहा। ऋषि शमीक ध्यान में थे। राजा की बुद्धि बिगड़ गई और उसने एक मरे सांप को ऋषि के गले में डाल दिया। ऋषि के पुत्र को जैसे ही इस बारे में पता चला उसने तुरंत राजा को श्राप दे दिया कि सर्पों का पूर्वज तक्षक सर्प तुम्हें सातवें दिन मार डालेगा। ध्यान भंग होने के बाद वह राजा को घर जाकर मुकुट उतारने के बाद पश्चात्ताप की अग्नि को महसूस करते हुए रोने लगा। उन्होंने कहा कि पाप एक व्यक्ति के जीवन को सही मार्ग से गलत मार्ग की ओर मोड़ देता है। उन्होंने कहा कि आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति को अच्छे व पुण्य के कार्य करने चाहिए। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य अवधेश पाण्डेय,राकेश पाण्डेय, शैलेश पाण्डेय भाजपा मंडल महामंत्री भादर, राकेश सिंह मवईया, डॉ वीरेंद्र सिंह असरवन, देव मिश्रा, कैलाश पाण्डेय, कृष्ण बहादुर सिंह, सोमई राम विश्वकर्मा, जियालाल यादव साहित्य सैकड़ो श्रोताओं ने श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया।

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